“ग्लोबल यूनिकॉर्न समिट- शेपिंग 1,000 यूनिकॉर्न बाय 2030” का आयोजन संपन्न
हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने स्टार्टअप्स में नैतिकता और कॉर्पोरेट अभिशासन मानदंडों को मजबूत करने पर बल दिया है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) तथा उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने संयुक्त रूप से “ग्लोबल यूनिकॉर्न समिट- शेपिंग 1,000 यूनिकॉर्न बाय 2030” का आयोजन किया है।
सम्मेलन के दौरान निम्नलिखित निष्कर्ष प्राप्त हुए –
- युवाओं की उद्यमशीलता की प्रतिभा और क्षमता को बढ़ावा देने के लिए जेन नेक्स्ट नेशनल काउंसिल का निर्माण किया जाएगा। यह काउंसिल एक सलाहकार निकाय होगी।
- स्टार्टअप समुदाय कॉरपोरेट अभिशासन मानकों का विकास करेगा। इन मानकों के आधार पर लेखा परीक्षक पारदर्शी रूप से खातों की लेखा परीक्षा कर सकेंगे और कदाचार की रिपोर्ट कर सकेंगे।
- व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए मेटावर्स या डिजिटल विश्व का लाभ उठाना चाहिए।
- घरेलू स्टार्टअप्स को भारत में ही सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। इन्हें टैक्स हेवन देशों की ओर नहीं जाने देना चाहिए।
- उद्यम पूंजीपतियों को युवा उद्यमियों द्वारा सृजित बौद्धिक संपदा को बढ़ावा देना चाहिए और इस संपदा की रक्षा करनी चाहिए। साथ ही, बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश की संभावनाओं का पता लगाने के लिए विशेषज्ञता प्रदान करनी चाहिए।
- कॉरपोरेट अभिशासन उन नियमों, नीतियों और प्रथाओं की एक प्रणाली है, जिनके द्वारा एक कंपनी को निर्देशित एवं नियंत्रित किया जाता है।
कॉरपोरेट अभिशासन के मूल सिद्धांत हैं: जवाबदेही, पारदर्शिता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी।
- कॉरपोरेट सुशासन से नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है। यह वित्तीय व्यवहार्यता की ओर ले जाता है।
- इसमें कई अन्य क्षेत्र भी शामिल हैं, जैसे- पर्यावरणीय जागरूकता, नैतिक व्यवहार, कॉरपोरेट रणनीति, क्षतिपूर्ति और जोखिम प्रबंधन।
- कंपनी अधिनियम, 2013 में बोर्ड और बोर्ड प्रक्रियाओं के माध्यम से कॉरपोरेट अभिशासन पर अधिक बल दिया गया है।
स्रोत –द हिन्दू