‘काली मृदा की वैश्विक स्थिति’ रिपोर्ट जारी
- हाल ही में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने “काली मृदा की वैश्विक स्थिति’ शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है।
- रिपोर्ट के अनुसार, काली मृदा खनिजों से समृद्ध होती है। इसकी ऊपरी सतह काली और यह जैविक कार्बन से समृद्ध होती है। यह कार्बन कम-से-कम 25 से.मी. गहराई तक होती है।
- इस मृदा का काला रंग कार्बनिक पदार्थ के संचय का परिणाम है, जो कि घास वाली वनस्पतियों के सड़ने से उत्पन्न होता है। काला रंग बनने की इस प्रक्रिया को मेलेनाइजेशन कहा जाता है।
काली मृदा की स्थिति:
- विश्व भर में काली मृदा का विस्तार 725 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर है, जो वैश्विक मृदाओं का 6 प्रतिशत है। साथ ही, इसमें विश्व की मृदा जैविक कार्बन (SOC) का 8.2 प्रतिशत हिस्सा मौजूद है।
- भारत में काली मृदा का विस्तार अधिकतर दक्कन के लावा पठार एवं मालवा के पठार पर है। देश में यह मृदा गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में पाई जाती है।
काली मृदा के समक्ष खतरे
- काली मृदा में कार्बनिक पदार्थों का ह्रास हो रहा है। ऐसा प्राकृतिक भू-खंडों को कृषि भूमि में परिवर्तित करने एवं काली मृदा पर की जाने वाली कृषि संबंधी गतिविधियों के निरंतर कुप्रबंधन की वजहों से हो रहा है।
- पूर्ववर्ती घास भूमियों की काली मृदा में वायु अपरदन एक विशेष समस्या है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस प्रकार की मिट्टी में शुष्क जलवायु वायु अपरदन की उच्च दर के प्रति स्वाभाविक रूप से अतिसंवेदनशील होती है।
सुझाव
- घास के मैदान, वन और आर्द्रभूमि वनस्पति के अंतर्गत काली मृदा पर प्राकृतिक वनस्पति आवरण का संरक्षण किया जाना चाहिए ।
- कृषि के अंतर्गत आने वाली काली मृदा के लिए संधारणीय मृदा प्रबंधन प्रणाली को अपनाने की जरूरत है।
काली मृदा
- काली मृदा जैविक पदार्थों से भरपूर, मोटी और गहरे रंग की होती है।
- यह रूस (327 मिलियन हेक्टेयर), कज़ाखस्तान (108 मिलियन हेक्टेयर), चीन (50 मिलियन हेक्टेयर), अर्जेंटीना, मंगोलिया, यूक्रेन आदि में पायी जाती है।
- काली मृदा अत्यंत उपजाऊ होती है और अपनी उच्च नमी भंडारण क्षमता के कारण उच्च कृषि पैदावार कर सकती है।
- काली मृदा लौह तत्त्व, चूना, कैल्शियम, पोटेशियम, एल्यूमीनियम और मैग्नीशियम से भरपूर होती है लेकिन इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस की कमी होती है।
काली मृदा की पर्यावरण के लिए उपयोगिता
- मृदा जैविक कार्बन प्रच्छादन (sequestration) में सहायक है ।
- मृदा की जैव विविधता को बनाए रखती है ।
- उर्वरता को बनाए रखती है।
- जलभराव और मृदा सघनता को कम करती है ।
- मृदा को सूखा और बाढ़ सहिष्णु बनाने में मदद करती है।
- ग्रीन हाउस गैस (GHGs) उत्सर्जन में संतुलन स्थापित करती है ।
- वैश्विक तापवृद्धि को कम करती है ।
- मृदा जैविक कार्बन (SOC) भंडारण की उच्च क्षमता है।
स्रोत – द हिन्दू