भारत ‘इंटरनेट के भविष्य पर वैश्विक घोषणा’ में शामिल नहीं
हाल ही में “इंटरनेट के भविष्य पर वैश्विक घोषणा” जारी की गई थी, जिसमें भारत शामिल नहीं हुआ है।
यह घोषणा इंटरनेट और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के लिए सकारात्मक दृष्टि के विकास हेतु भागीदारों के बीच एक राजनीतिक प्रतिबद्धता है। इसका उद्देश्य इंटरनेट को खुला, स्वतंत्र और तटस्थ बनाये रखना है।
इस घोषणा पर लगभग 60 देशों/संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और फ्रांस शामिल हैं। भारत, चीन और रूस उन बड़े देशों में शामिल हैं, इस घोषणा का हिस्सा नहीं हैं।
इस घोषणा के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं:
- सभी लोगों के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता,
- एक वैश्विक इंटरनेट को बढ़ावा देना, जो सूचना के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करेगा। साथ ही समावेशी और किफायती कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
- निजता की सुरक्षा सहित वैश्विक डिजिटल कार्यप्रणाली में विश्वास को बढ़ावा देना।
- डिजिटल अभिशासन के लिए बहु-हितधारक दृष्टिकोण का संरक्षण और मजबूती।
- इससे पहले, “द रिटर्न ऑफ डिजिटल ऑथॉरिटेरियनिज्मः इंटरनेट शटडाउन” शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी।
इस रिपोर्ट में निम्नलिखित तथ्यों को रेखांकित किया गया थाः
- इंटरनेट शटडाउन करने वाले देशों की संख्या वर्ष 2020 के 29 से बढ़कर वर्ष 2021 में 34 हो गई।
- भारत वर्ष 2021 में लगातार चौथे वर्ष इंटरनेट शटडाउन लगाने वाला शीर्ष देश था।
- भारत ने बुडापेस्ट कन्वेंशन ऑन साइबर क्राइम, 2001 पर भी हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
- बुडापेस्ट कन्वेंशन के तहत डेटा साझा करने वाले प्रावधान राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करते हैं। वर्तमान में, यह साइबर अपराध और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर कानूनी रूप से बाध्यकारी एकमात्र बहुपक्षीय कन्वेंशन है।
स्रोत –द हिन्दू