‘ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी आउटलुक, 2022′ रिपोर्ट
विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने प्रथम ‘ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी आउटलुक, 2022’ रिपोर्ट जारी की हैं।
यह रिपोर्ट ‘बायोडायवर्सिटीज बाय 2030’ पहल का एक प्रमुख दस्तावेज है। इस पहल का नेतृत्व विश्व आर्थिक मंच और अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट इंस्टीट्यूट, कोलंबिया ने संयुक्त रूप से किया है।
यह संगठनों और व्यापक तंत्र के भीतर साइबर लचीलापन बढ़ाने के लिए किए गए उपायों को रेखांकित करती है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटलीकरण ने तेजी से विस्तार किया है। इससे निम्नलिखित समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं-
- वर्ष 2021 में वैश्विक रैंसमवेयर हमलों में 151% की वृद्धि हुई है।
- प्रति संगठन औसतन 270 साइबर हमले दर्ज किये गये हैं।
- साइबर घटनाएं, अधिक आर्थिक लागत वाली और हानिकारक होती जा रही हैं। ये कभी-कभी महत्वपूर्ण सेवाओं और अवसंरचना को भी बहुत अधिक नुकसान पहुंचाती है।
- साइबर हमलों के लिए परिष्कृत उपकरणों और तरीकों की व्यापक उपलब्धता है। इनसे अपेक्षाकृत कम या बिना किसी खर्च पर पीड़ित को डराया जाना संभव है।
WEF द्वारा अनुशंसित साइबर सुरक्षा समाधान
- समाज और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता प्रदान करना।
- साइबर घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना, रिकवरी करना और शीघ्रता से अनुकूलन करना।
- साइबर-रक्षात्मक अवस्था से एक मजबूत साइबर-प्रतिरोध की स्थिति प्राप्त करना। हमलों की
- आशंका और संभावित डिजिटल आघात के लिए पहले से ही तैयार रहना।
- प्रणालीगत साइबर सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया जुटाना। साथ ही, यह सुनिश्चित करना कि साइबर सुरक्षा एवं महत्वपूर्ण व्यावसायिक कंपनियों के मध्य कोई संचार या समन्वय की कमी न हो।
स्रोत –द हिन्दू