वैश्विक स्वास्थ्य के लिए जीनोमिक्स तक पहुंच
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की साइंस काउंसिल ने वैश्विक स्वास्थ्य के लिए जीनोमिक्स तक पहुंच में तेजी लाने पर केंद्रित अपनी पहली रिपोर्ट जारी की है।
जिसमें WHO ने सभी देशों में जीनोमिक्स के व्यापक उपयोग पर बल दिया है।
इसमें तर्क दिया गया है कि समृद्ध देशों की तुलना में कम संसाधन वाले देशों को ऐसी तकनीकों तक देर से पहुंच प्राप्त होती है। यह नैतिक या वैज्ञानिक रूप से उचित नहीं है।
साइंस काउंसिल की स्थापना वर्ष 2021 में WHO के महानिदेशक ने की थी। इसका उद्देश्य WHO की विज्ञान और अनुसंधान रणनीति पर मार्गदर्शन प्रदान करना है ।
चार विषयों पर केंद्रित रिपोर्ट की सिफारिशें:
- जीनोमिक्स को बढ़ावा देने का समर्थन,
- जीनोमिक पद्धतियों का कार्यान्वयन,
- जीनोमिक्स में कार्यरत संस्थाओं के बीच सहयोग, तथा
- जीनोमिक्स से पैदा हुए नैतिक, कानूनी और सामाजिक मुद्दों (ELSIs) पर ध्यान केंद्रित करना।
जीनोमिक्स जीवों के संपूर्ण जीनोम और उससे बड़ी मात्रा में उत्पन्न संबंधित जानकारियों का अध्ययन है। दूसरी ओर, जेनेटिक्स, आनुवंशिकी के अध्ययन से भी संबंधित है।
जीनोमिक्स के अनुप्रयोग और उपयोगः
- चिकित्सा संबंधी उद्देश्यों के लिए मानव जीनोमिक्सः आनुवंशिक विकारों की रोकथाम, निदान, पूर्वानुमान, प्रबंधन, निगरानी और उपचार।
- चिकित्सा संबंधी उद्देश्यों के लिए माइक्रोबियल जीनोमिक्सः संक्रामक अभिकारकों की पहचान, वैक्सीन डिजाइन आदि ।
- कृषि और जलीय कृषि जीनोमिक्सः नए लक्षणों की पहचान और रोगों के प्रति संवेदनशीलता आदि।
- जैविक और चिकित्सा अनुसंधानः दवा विकास, रोग को प्रभावित करने वाले जीन की खोज आदि ।
- अन्यः फोरेंसिक विज्ञान, वंशावली का आकलन आदि।
भारत में जीनोमिक्स संबंधी पहले
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), ‘जीनोम इंडियाः कैटलॉगिंग द जेनेटिक वेरिएशन इन इंडियंस’ परियोजना संचालित कर रहा है।
- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा इंडीजेन (IndiGen) कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
- भारतीय सार्स-कोव-2 (SARS-CoV-2) जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) आयोजित किया जाता है।
स्रोत –द हिन्दू