प्रोग्रेस ऑन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG): “द जेंडर स्नैपशॉट 2023″ रिपोर्ट
हाल ही में यूएन वीमेन और संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (UN-DESA) द्वारा “प्रोग्रेस ऑन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG):द जेंडर स्नैपशॉट 2023” नामक एक रिपोर्ट जारी की गई है
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक प्रयासों के बावजूद, दुनिया लैंगिक समानता हासिल करने में विफल हो रही है ।
लैंगिक समानता:
लैंगिक समानता का तात्पर्य सभी व्यक्तियों के समान अधिकारों, जिम्मेदारियों और अवसरों से है, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो । इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि महिलाओं और पुरुषों को संसाधनों, शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त हो।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- SDG –1 (गरीबी उन्मूलन): वैश्विक प्रयासों में यही गति रही तो 2030 बाद भी 340 मिलियन से अधिक महिलाएं और लड़कियां चरम गरीबी में रह रही होंगी । यह कुल महिला आबादी का लगभग 8% होगा, इसलिए वर्ष 2030 तक SDG -1 के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रगति की वर्तमान दर को 26 गुना तेज करने की आवश्यकता है।
- SDG – 2 (भुखमरी की समाप्ति): वर्ष 2030 तक लगभग 4 में से 1 महिला और लड़की को सामान्य या गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा । वृद्ध महिलाओं को वृद्ध पुरुषों की तुलना में गरीबी और हिंसा की उच्च दर का सामना करना पड़ता है, जिनमें से कई को पेंशन तक पहुंच नहीं होती है।
- कृषि- खाद्य प्रणालियों में लैंगिक अंतराल को दूर करने से खाद्य – असुरक्षा में कमी की जा सकती है। साथ ही, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाया जा सकता है।
- SDG-4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा): केवल 60 प्रतिशत लड़कियों ने उच्चतर माध्यमिक स्तर की स्कूली शिक्षा पूरी की है। हालांकि, यह 57 प्रतिशत लड़कों के औसत की तुलना में बेहतर है।
- SDG – 5 (लैंगिक समानता): महिलाएं पुरुषों की तुलना में प्रति दिन अवैतनिक देखभाल और घरेलू काम पर 2.3 घंटे अधिक खर्च करती हैं।
- SDG-10 (असमानता में कमी): महिलाएं, पुरुषों की तुलना में लैंगिक आधार पर दोगुने भेदभाव का सामना करती हैं। वहीं वैवाहिक स्थिति के आधार पर भेदभाव का सामना करने की संभावना भी पुरुषों की तुलना में लगभग दोगुनी है।
- SDG – 13 (जलवायु कार्रवाई): जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष परिणाम की वजह से विश्व स्तर पर 158 मिलियन महिलाएं और लड़कियां गरीबी रेखा के नीचे जा सकती हैं।
- इसके अलावा श्रम और कमाई का अंतर लगातार ऊंचा बना हुआ है । वैश्विक स्तर पर पुरुष श्रम आय के रूप में जो प्रत्येक डॉलर कमाते हैं, उसमें महिलाएं केवल 51 सेंट कमाती हैं। वैश्विक लक्ष्यों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण हासिल करने के लिए प्रति वर्ष अतिरिक्त $360 बिलियन धन के निवेश की आवश्यकता है।
सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रमुख चुनौतियां:
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा जारी रहना,शिक्षा में असमानता मौजूद रहना,
- श्रम बल में महिलाओं की कम भागीदारी होना और पारिश्रमिक में असमानताएं होना आदि ।
रिपोर्ट की सिफ़ारिशें :
- रिपोर्ट लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए अधिक सहयोग, वित्त पोषण और नीतिगत कार्रवाइयों का आह्वान करती है।
- साथ ही इस बात पर जोर देती है कि लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने में विफल रहने से सतत विकास के लिए संपूर्ण 2030 एजेंडा खतरे में पड़ सकता है।
- कृषि खाद्य प्रणालियों में लिंग अंतर को संबोधित करने से खाद्य असुरक्षा को कम किया जा सकता है और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद को लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाया जा सकता है।
स्रोत – यू एन वुमन