खुदरा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं (CBDCs) हेतु सार्वजनिक नीति सिद्धांतों का समर्थन

खुदरा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं (CBDCs) हेतु सार्वजनिक नीति सिद्धांतों का समर्थन

हाल ही में G7 के वित्त अधिकारियों ने खुदरा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं (Retail Central Bank Digital Currencies: CBDCs) के लिए सार्वजनिक नीति सिद्धांतों का समर्थन किया है ।

खुदरा CBDC वस्तुतः केंद्रीय बैंक की मुद्रा का एक डिजिटल रूप होगा। यह राष्ट्र की लेखा इकाई (unit of account) में मूल्यवर्गित तथा इलेक्ट्रॉनिक रिज़र्व और भौतिक नकदी से अलग होगी।

CBDCs मूल रूप से निजी तौर पर जारी डिजिटल मुद्राओं जैसे कि स्टेबल कॉइन्ज़ से भिन्न होती हैं। ज्ञातव्य है कि स्टेबल कॉइन्ज़ एक डिजिटल मुद्रा है, जो अमेरिकी डॉलर या स्वर्ण जैसी स्थिर आरक्षित संपत्ति से नियंत्रित होती है।

सार्वजनिक नीति सिद्धांतों को दो श्रेणियों में रखा गया है:

मूलभूत मुद्देः मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता; विधिक एवं अभिशासन का ढांचा; डेटा की निजता; परिचालन संबंधी लचीलापन और साइबर सुरक्षा आदि।

अवसरःडिजिटल अर्थव्यवस्था और नवाचार; वित्तीय समावेशन; सीमा पार की व्यावहारिकता; अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम आदि।

बढ़ते डिजिटल भुगतान तथा सार्वजनिक और निजी मुद्रा के उभरते स्वरूपों के तहत, निम्नलिखित कारणों से CBDC को केंद्रीय बैंकों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है:

  • विश्वसनीय मुद्रा के माध्यम से अपनी अधिकारिता में मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करने हेतु। लेनदेन के लिए सुरक्षित और कुशल तरीके उपलब्ध कराने के साथ-साथ नवाचार एवं वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने हेतु।
  • भुगतान प्रणालियों की सार्वभौमिकता को अधिक वास्तविक समय आधारित और लागत प्रभावी बनाने हेतु।
  • इससे पूर्व, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका के केंद्रीय बैंकों ने अंतर्राष्ट्रीय निपटान के लिए CBDCs के उपयोग का परीक्षण करने हेतु डनबार (Dunbar) परियोजना आरंभ की थी।
  • इसका उद्देश्य संस्थानों के मध्य प्रत्यक्ष लेनदेन की अनुमति प्रदान करना, लागत को कम करना और लेनदेन की गति को तीव्र करना है।

स्रोत द हिन्दू

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