RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) को उधार देने और लेने के लिए मसौदा मानदंड जारी
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) को उधार देने और उधार लेने के लिए मसौदा मानदंड जारी किए हैं।
इस कदम का उद्देश्य सरकारी प्रतिभूति ऋण (GSL) बाजार में व्यापक भागीदारी को सुगम बनाना है।
मसौदा मानदंडों की मुख्य विशेषताएं–
- पात्रता: केंद्र द्वारा जारी सरकारी प्रतिभूतियां GSL सौदे के तहत उधार देने और व्यापार करने के लिए पात्र हैं। इसमें ट्रेजरी बिल (T-bills) शामिल नहीं हैं। इसके विपरीत, केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से जारी सरकारी प्रतिभूतियों (T-bills सहित) का उपयोग GSL के तहत जमानत (collateral) के रूप में किया जाएगा।
- पात्र प्रतिभागी: रेपो लेन-देन करने के लिए पात्र संस्थाएं तथा वे, जिन्हें RBI ने अनुमोदित किया है।
- अवधि: न्यूनतम 1 दिन और अधिकतम 90 दिन ।
- एक GSL लेन-देन के तहत उधार ली गई प्रतिभूतियां, उधारकर्ता ( न कि ऋणदाता) के लिए वैधानिक तरलता अनुपात ( SLR ) हेतु पात्र होगी । G-Sec केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी व्यापार योग्य लिखत (इंस्ट्रूमेंट) हैं। ये सरकार के ऋण दायित्व को मान्यता प्रदान करती हैं।
- सरकारी प्रतिभूतियां अल्पावधि और दीर्घावधि वाली होती हैं । अल्पावधि प्रतिभूतियां सामान्यतः एक वर्ष से भी कम समय की परिपक्वता अवधि वाली होती हैं। इन्हें ट्रेज़री बिल कहा जाता है ।
- दीर्घावधि प्रतिभूतियां आमतौर पर एक वर्ष या उससे अधिक की परिपक्वता अवधि वाली होती हैं। इन्हें सरकारी बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियां कहा जाता है।
- केंद्र सरकार T-bills और बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियां, दोनों जारी करती है। राज्य सरकारें केवल बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियां ही जारी करती हैं, जिन्हें राज्य विकास ऋण (SDL) कहा जाता है ।
- G-Sec में व्यावहारिक रूप से डिफ़ॉल्ट का कोई जोखिम नहीं होता है, इसलिए ये जोखिम मुक्त गिल्ट – एज इंस्ट्रूमेंट्स कहलाती हैं।
स्रोत – द हिन्दू