G-20 शिखर सम्मेलन
हाल ही में G-20 के 17वें वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन ‘रिकवर टुगेदर, रिकवर स्ट्रॉन्गर‘ विषय के तहत इंडोनेशिया के बाली में किया गया है।
- इस G-20 शिखर सम्मेलन को प्रधान मंत्री ने संबोधित किया साथ ही भारत ने G-20 की अध्यक्षता का प्रभार संभाल लिया है और अब18वाँ शिखर सम्मेलन 2023 में भारत में आयोजित किया जाएगा।
- इस दौरान प्रधान मंत्री ने जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी तथा यूक्रेन संबंधी घटनाक्रमों के मौजूदा दौर को चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल बताया है। इसी के मद्देनजर उन्होंने एक नई विश्व व्यवस्था का आह्वान किया है।
- इन सभी समस्याओं के कारण भारत और विश्व दोनों को तनावपूर्ण आर्थिक स्थिति; वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा; ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चुनौतियां; वैश्विक व्यवस्था में सहयोग का विघटन आदि जैसे दुष्परिणामों का सामना करना पड़ रहा है।
- उपर्युक्त परिस्थितियां भारत को उभरती हुई विश्व व्यवस्था में स्वयं को एक महत्वपूर्ण अभिकर्ता के रूप में स्थापित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती हैं।
यह निम्नलिखित रूपों में संभव है:
- कानून के शासन, पारदर्शिता, अंतर्राष्ट्रीय समुद्रों में नौवहन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आदि के आधार पर एक विश्व व्यवस्था विकसित करने के लिए शक्ति का एक स्थिर और बहुध्रुवीय संतुलन सुनिश्चित करके ।
- रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए अमेरिका और रूस जैसी प्रमुख शक्तियों के साथ व्यापक रणनीतिक संबंधों को संतुलित करके ।
- जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, कनेक्टिविटी और समुद्री सुरक्षा जैसे वैश्विक गवर्नेस के मामलों में भारतीय प्रतिनिधित्व एवं नेतृत्व सुनिश्चित करके ।
- एकीकृत पड़ोस के लक्ष्य को प्राथमिकता देकर। इसमें क्षेत्र के देशों के साथ अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना शामिल है। साथ ही, क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन स्थापित करने वाले देश की भूमिका निभाना भी सम्मिलित है।
G-20 समूह
- G20 का गठन वर्ष 1999 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को प्रभावित किया था।
- इसका उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना है।
- साथ में G20 देशों में दुनिया की 60% आबादी, वैश्विक जीडीपी का 80% और वैश्विक व्यापार का 75% शामिल है।
स्रोत – द हिन्दू