सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के लिए फंड जारी
केंद्र सरकार मार्च के महीने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के लिए फंड जारी करेगी ।सरकार ने आरंभ में इस वर्ष के लिए बैंक पुनपूंजीकरण हेतु 20,000 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया था। लेकिन, PSBs की स्थिति में सुधार के लिए संशोधित अनुमानों में इसे घटाकर 15,000 करोड़ रुपये कर दिया गया।
इस कदम से ऋणदाताओं अर्थात बैंकों को आरक्षित-पूंजी संबंधी कठोर आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही, इससे कमजोर बैंकों की संख्या भी कम होगी। ऐसा अशोध्य ऋणों (bad debt) की बेहतर पहचान और प्रोविजनिंग से बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार से संभव होगा।
बैंक पुनपूंजीकरण का अर्थ है सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों को अधिक पूंजी प्रदान करना। इससे वे पूंजी पर्याप्तता मानदंडों को पूरा कर सकेंगे।
सरकार ने इन बैंकों को वित्त वर्ष 2017 से शुरू करते हुए पिछले पांच वर्षों में 3.10 ट्रिलियन रुपए से अधिक की पूंजी प्रदान की है।
सरकार नए शेयर खरीदकर या बांड जारी करके बैंकों में नए पूंजी निवेश को संभव बनाती है।
बैंकों के पुनर्पूजीकरण की आवश्यकता क्यों है?
- बढ़ती गैर-निष्पादन परिसंपत्तियों (NPA) से निपटने के लिए
- अर्थव्यवस्था में ऋण वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए।
- बेसल मानदंडों के अनुसार कुछ निश्चित मात्रा में आरक्षित पूंजी बनाए रखने के लिए।
पुनर्पूजीकरण से जुड़ी चिंताएं
- बजटीय घाटे के कठोर मानदंडों का पालन करने की बाध्यता के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनपूंजीकरण करना कठिन है।
- पुनपूंजीकरण से बैंकों को खतरनाक स्तर पर पहुँच चुके अशोध्य ऋणों की वसूली में मदद नहीं मिलेगी।
क्या है बेसल मानदंड?
- बेसल -3 बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बेसल समिति द्वारा विकसित सुधारात्मक उपायों का एक व्यापक सेट है। इसका उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र के विनियमन, पर्यवेक्षण और जोखिम प्रबंधन को मजबूत करना है।
- यह बेसल 1और बेसल 2 मानदंडों पर आधारित है।
- बेसल -3 मानदंड, वित्तीय तनाव से निपटने, जोखिम प्रबंधन में सुधार करने तथा पारदर्शिता को बढ़ावा देने हेतु बैंकिंग प्रणाली की क्षमता में सुधार करने का प्रयास करते हैं।
स्रोत: द हिंदू