परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARCs) के लिए विनियामक ढांचे में संशोधन

परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARCs) के लिए विनियामक ढांचे में संशोधन

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARCs) के लिए विनियामक ढांचे में संशोधन किया है।

यह संशोधन ARCs के कामकाज की व्यापक समीक्षा करने के लिए गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया है।

प्रमुख दिशानिर्देश निम्नलिखित हैं:

  • 1000 करोड़ रूपये की न्यूनतम निवल परिसंपत्ति वाली ARCs को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC), 2016 के तहत समाधान आवेदकों के रूप में कार्य करने की अनुमति दी गई है।
  • इससे पहले, वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (सरफेसी/SARFAESI) अधिनियम ने ARCs को RBI की अनुमति के बिना प्रतिभूतिकरण करने या परिसंपत्ति पुननिर्माण के अलावा अन्य कार्य करने से प्रतिबंधित कर दिया था।
  • IBC, कंपनियों और व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान हेतु एक समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करता है।
  • ARC की स्थापना के लिए न्यूनतम पूंजी आवश्यकता को मौजूदा 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर चरणबद्ध तरीके से 300 करोड़ रुपये किया गया है।
  • कॉर्पोरेट गवर्नेस मानदंडों में बदलाव किए गए हैं। जैसे लेखा परीक्षण समिति का गठन करना, इसमें केवल गैर-कार्यकारी निदेशक ही शामिल होंगे।

ARCs के बारे में

  • इनका गठन नरसिम्हम समिति-2 की सिफारिशों पर किया गया है। इन्हें गैर-निष्पादित आस्तियों (NPAs) के समाधान के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण प्रदान करने हेतु गठित किया गया है।
  • ये सरफेसी (SARFAESI) अधिनियम, 2002 की धारा-3 के तहत पंजीकृत कंपनियां हैं।
  • इन्हें RBI गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के रूप में विनियमित करता है।

स्रोत – द हिन्दू

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