बिहार का पहला तैरता विद्युत संयंत्र दरभंगा में निर्मित

बिहार का पहला तैरता विद्युत संयंत्र दरभंगा में निर्मित

हाल ही में बिहार का पहला तैरता विद्युत संयंत्र दरभंगा में जल्द ही शुरू किया जाएगा ।

बिहार के दरभंगा में 2 मेगावाट की फ्लोटिंग सौर ऊर्जा उत्पादन इकाई स्थापित की जा रही है। इसका उद्देश्य मत्स्य पालन को बढ़ावा देना है। साथ ही, सौर पैनलों से हरित ऊर्जा का उत्पादन करना है।

इससे पहले, भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर फोटोवोल्टिक (PV) प्लांट आंध्र प्रदेश के NTPC-सिम्हाद्री में शुरू किया गया था।

फ्लोटिंग प्लांट के तहत फोटोवोल्टिक पैनल जल निकायों की जल सतह पर स्थापित किए जाते हैं। उन्हें भूमि आधारित सौर सरणियों (सोलर ऐरे) के व्यवहार्य विकल्प के रूप में माना जाता है।

तैरता सौर ऊर्जा संयंत्र के लाभ:

  • सौर पैनल लगाने के लिए भू-स्थान की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
  • विद्युत उत्पादन में वृद्धि होती है, क्योंकि जल सौर पैनलों को ठंडा रखता है। तापमान बढ़ने पर यह उनकी दक्षता सुनिश्चित करता है।
  • तैरते सौर पैनलों से उत्पन्न छाया के निम्नलिखित लाभ होते शैवाल प्रस्फुटन की संभावना को कम करने में मदद मिलती है।
  • जल के वाष्पीकरण में कमी आएगी। इससे जल संसाधन संरक्षित रहेंगे।
  • अपेक्षाकृत मुक्त जल सतह वृक्षों, पहाड़ों आदि से छाया को प्रभावी ढंग से रोक सकती है।

तैरते सौर ऊर्जा संयंत्र की सीमाएं

  • इन्हें स्थापित करने की लागत काफी अधिक है।
  • नमी के कारण क्षरण और जंग लगने का जोखिम बना रहता ह है। यह समस्या विशेष रूप से अशांत तटीय वातावरण में अधिक होती है।
  • फ्लोटिंग सोलर पैनल में जल और विद्युत, दोनों शामिल होने के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताएं उत्पन्न होती हैं।
  • इसकी रैकिंग प्रणाली लंबी अवधि के लिए उपयोगी और उच्च भार वहन क्षमता वाली होनी चाहिए।

स्रोत द हिन्दू

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