फिल्म उद्योग में भी “POSH अधिनियम” लागू
हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि फिल्म उद्योग को भी “POSH अधिनियम” लागू करना चाहिए।
- केरल हाईकोर्ट ने फिल्म उद्योग से जुड़े संगठनों से महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए एक संयुक्त समिति के गठन हेतु उपाय करने के लिए कहा है। ऐसे उपाय “कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013” के अनुरूप होने चाहिए।
- आमतौर पर इसे POSH अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है। इस कानून को वस्तुतः कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न के कृत्यों को रोकने, उन्हें प्रतिबंधित करने और उनसे निपटने के लिए पारित किया गया था। इसे कार्यस्थलों को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के उद्देश्य भी पारित किया गया था।
इस कानून की मुख्य विशेषताएं:
- यह महिलाओं को उनके कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाने का प्रयास करता है।
- यह कानून कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को परिभाषित करता है और शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र की व्यवस्था करता है।
- इसमें “पीड़ित महिला की परिभाषा बहत व्यापक है। इसके अंतर्गत सभी महिलाओं को शामिल करते हुए उन्हें सुरक्षा प्रदान की गयी है। इसमें महिलाओं की आयु या रोजगार की स्थिति का ध्यान नहीं रखा गया है। संगठित या असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत, सार्वजनिक या निजी रोजगार से जुड़ी और क्लाइंट, ग्राहक या घरेलू कामगार सहित सभी महिलाओं को इसमें शामिल कर उन्हें सुरक्षा दी गयी है।
- इस कानून के अनुसार, 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक निजी या सार्वजनिक संगठन में एक आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee: ICC) का गठन करना अनिवार्य है।
- ICC को समन जारी करने, खोज कार्यों, दस्तावेजों को प्रस्तुत करने, आदि के लिए एक दीवानी अदालत की शक्तियां दी गई हैं ।
विशाखा दिशा–निर्देश:
ये दिशा-निर्देश विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य वाद (वर्ष 1997) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तैयार किए गए थे। इससे निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के लिए यौन उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र स्थापित करना अनिवार्य हो गया। ये दिशा-निर्देश कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं। ये यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हैं।
इनके अंतर्गत संस्थानों पर तीन प्रमुख दायित्व लागू किये गए हैं–
- निषेध (prohibition),
- रोकथाम (prevention), और
- निवारण (redress)
इस वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि संस्थानों को एक शिकायत समिति का गठन करना होगा, जो कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों को देखेगी।
वर्ष 2013 के POSH अधिनियम ने इन दिशा-निर्देशों का और विस्तार किया है।
स्रोत –द हिन्दू