उर्वरकों के डायवर्जन एवं कालाबाजारी के लिए ‘फर्टिलाइजर्स फ्लाइंग स्क्वाड’ गठित
- हाल ही में उर्वरक विभाग ने ‘फर्टिलाइजर्स फ्लाइंग स्क्वाड’ नामक एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति की है।
- यह अधिकारी उर्वरकों के डायवर्जन, कालाबाजारी तथा किसानों को घटिया उर्वरकों की आपूर्ति की जांच और निरीक्षण करेगा।
- यूरिया के उद्योगों की ओर डायवर्जन पर रोक लगाने से 6,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत होने की संभावना है
- एक अनुमान के अनुसार, लगभग 10 लाख टन कृषि-ग्रेड यूरिया प्रत्येक वर्ष औद्योगिक उपयोग के लिए डायवर्ट कर दिया जाता है।
- कृषि –ग्रेड यूरिया में नीम -कोटिंग होती है ऐसा लीकेज को रोकने के लिए किया जाता है। हालांकि, कुछ रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा नीम-कोटिंग को हटा दिया जाता है। इसके बाद यूरिया का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए कर लिया जाता है।
डायवर्जन के कारण:
- कृषि और गैर–कृषि उद्देश्य वाले उर्वरकों के बीच कीमत में भारी अंतर: इस वजह से इसे प्लाईवुड, राल, सिरेमिक, मोल्डिंग पाउडर, पशु चारा, डेयरी और औद्योगिक खनन विस्फोटकों में उपयोग के लिए डायवर्ट कर दिया जाता है।
- मांग और आपूर्ति में अंतरः उद्योगों को एक मिलियन टन से अधिक की जरूरत होती है, लेकिन वे केवल 200,000 टन का ही आयात करते हैं।
- नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को गैर-कानूनी तरीके से बड़ी मात्रा में यूरिया का निर्यात किया जाता है।
यूरिया और उस पर सब्सिडी
- यह एक सफेद क्रिस्टल जैसा ठोस नाइट्रोजन युक्त उर्वरक है।
- यह एकमात्र उर्वरक है, जिसकी कीमत और आपूर्ति को सरकार कानूनी रूप से नियंत्रित करती है।
- केंद्र सरकार प्रति बोरी 2,700 रुपये से अधिक की सब्सिडी का बोझ उठाती है।
स्रोत –द हिन्दू