महिलाओं की इरादतन हत्याओं में बढ़ोतरी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार आपदाओं में वृद्धि से महिलाओं की इरादतन हत्याओं में बढ़ोतरी हुई है ।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर वैश्विक आकलन रिपोर्ट, 2022 (GAR-DRR 2022) जारी की है।
इसका शीर्षक है- “आवर वर्ल्ड एट रिस्कः ट्रांसफॉर्मिंग गवर्नेस फॉर ए रेसिलिएंट फ्यूचर”
यह रिपोर्ट आपदाओं में लिंग आधारित हिंसा में वृद्धि पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा अघिदेशित सतत विकास लक्ष्य (SDG) डेटा के विश्लेषण पर आधारित है।
रिपोर्ट में रेखांकित किये गए आपदा के सामाजिक प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बाढ़ एवं चक्रवात के कारण विस्थापन व प्रवास संबंधी मामलों में वृद्धि हुई है। इन बढ़ते मामले से लोगों की तस्करी के खतरे में भी बढ़ोतरी हुई है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान निगरानी के क्रम में “शैडो पैंडेमिक के रूप में व्यवस्थागत लिंग आधारित हिंसा का मुद्दा भी प्रकाश में आया है।
- आपदाओं के बाद और आपदाओं की चरम स्थिति में महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ हिंसा बढ़ जाती है।
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण का उद्देश्य रोकथाम की नीतियों के माध्यम से भूकंप, बाढ़, सूखा और चक्रवात जैसी प्राकृतिक विपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करना है।
आपदा प्रबंधन चक्र के अलग–अलग चरण इस प्रकार हैं:
- रोकथाम (Prevention),
- कार्रवाई (Response)
- पुनर्बहाली (Recovery)
- तैयारी (Preparedness)
- उपशमन (Mitigation)
आपदाओं के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए भारत द्वारा आरंभ की गई प्रमुख पहले–
- भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का गठन किया गया है।
- विश्व बैंक से सहायता प्राप्त तमिलनाडु और पुडुचेरी तटीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण परियोजना (CDRRP) चलायी जा रही है।
- भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण से संबंधित सेंडाई फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किये हैं।
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNDRR) के अनुसार आपदा से तात्पर्य जोखिम, सुभेद्यता और क्षमता की स्थितियों के साथ खतरनाक घटनाओं का सामना करने की वजह से किसी समुदाय के समक्ष या समाज के कामकाज में उत्पन्न हुई गंभीर बाधा से है। इससे मानवीय, भौतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान एवं प्रभाव पैदा होते हैं।
स्रोत –द हिन्दू