भारत में बेरोजगारी के कारक केवल भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित संरचनात्मक मुद्दों का परिणाम नहीं हैं

Question – भारत में बेरोजगारी के कारक केवल भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित संरचनात्मक मुद्दों का परिणाम नहीं हैं। चर्चा कीजिए। साथ ही, हाल के दिनों में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए किए गए उपायों पर प्रकाश डालिए। 11 March 2022

Answerहाल ही में प्रकाशितअंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार 2022 के दौरान विश्व भर में बेरोजगार लोगों की संख्या 20.7 करोड़ रहने का अनुमान है। उल्लेखनीय  है कि 2019 में यह आंकड़ा 18.6 करोड़ था। अर्थात इस दौरान बेरोजगार लोगों की संख्या में 11 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुयी है, जोकि 2.1 करोड़ है।

बेरोजगारी की समस्या जनसंख्या वृद्धि, व्यावहारिक कौशल की कमी, औद्योगीकरण के असमान वितरण आदि से बढ़ जाती है। सीएमआईई (CMIE) के अनुसार, अक्टूबर, 2021 में भारत की बेरोजगारी दर 7.75% थी। भारत में उच्च बेरोजगारी दर के पीछे कई कारण हैं।

संरचनात्मक बेरोजगारी श्रमिकों की आवश्यकताओं, कौशल और नौकरी की आवश्यकताओं के मध्य असंगतता के कारण होती है। उदाहरण के लिए कुछ लोग नए आर्थिक क्षेत्रों के विस्तार में उपयोग की जाने वाली नई तकनीकों को सीखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, और वे बेरोजगार हो सकते हैं। उदाहरण के लिए समकालीन समय में, औद्योगिक संसथान कुशल पेशेवरों की कमी का सामना कर रहे हैं। हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि, भारत के 67 प्रतिशत रोजगार उद्योग अपनी आवश्यकताओं से सम्बद्ध वाले संसाधनों को खोजने में सक्षम नहीं हैं। इस संबंध में व्यावसायिक कौशल की कमी एक गंभीर बाधा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी में योगदान देने वाले मुद्दे इस प्रकार हैं:

  • कार्यबल का विषम वितरण: कृषि जो लगभग 40% कार्यबल को संलग्न करती है, देश के सकल घरेलू उत्पाद में केवल 8 (आर्थिक सर्वेक्षण 2020-2021 के अनुसार) का योगदान करती है। उद्योग और सेवाओं जैसे अन्य क्षेत्रों में श्रम भागीदारी में केवल मामूली वृद्धि देखी गई है।
  • जनसंख्या का तेजी से विकास: बढ़ती हुई जनसंख्या के परिणामस्वरूप बढ़ती श्रम शक्ति के लिए रोजगार के अवसरों में वृद्धि किए बिना श्रम आपूर्ति में वृद्धि हुई है, जिससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ रही है। 2030 के दशक में भारत को 60 मिलियन नए श्रमिकों को अवशोषित करने के लिए कम से कम 90 मिलियन नए गैर-कृषि रोजगार सृजित करने की आवश्यकता है जो वर्तमान जनसांख्यिकी के आधार पर कार्यबल में प्रवेश करेंगे। साथ ही अतिरिक्त 30 मिलियन श्रमिक हैं, जो कृषि कार्य से अधिक उत्पादक गैर-कृषि क्षेत्र में स्थानांतरित हो सकते हैं।
  • ग्रामीण-शहरी प्रवास: ग्रामीण क्षेत्र कृषि और संबद्ध गतिविधियों में जीवन निर्वाह प्रदान करने में विफल रहे हैं, और इसलिए बड़े पैमाने पर शहरों में प्रवास हो रहा है। हालांकि, शहरों में आर्थिक विकास श्रम बाजार में नए शहरी प्रवेशकों के लिए पर्याप्त अतिरिक्त रोजगार पैदा करने में विफल रहा है। इस प्रकार केवल कुछ प्रवासी ही उत्पादक गतिविधियों में संलग्न होते हैं, और बाकी बेरोजगार श्रमिकों की आरक्षित श्रम बल में शामिल हो जाते हैं।
  • अप्रयोज्य प्रौद्योगिकी: भारत में, हालांकि पूंजी एक दुर्लभ कारक है, श्रम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है; फिर भी उत्पादक द्रुतगति से श्रम के लिए पूंजी को प्रतिस्थापित कर रहे हैं। इस नीति के परिणामस्वरूप उच्च बेरोजगारी होती है। श्रम की प्रचुरता के बावजूद, भारत में मुख्य रूप से कठोर श्रम कानूनों के कारण पूंजी गहन तकनीक को अपनाया जाता है। हायर एंड फायर का पालन करना काफी कठिन है, और इसलिए उद्यमों के लिए जनशक्ति के उपयुक्त आकार का परिकल्पन दुस्कर होता है। इसके , श्रमिक-अशांति और कार्य-संस्कृति की कमी जैसे कारक श्रम को बढ़ती अक्षमता की ओर ले जाते हैं, और इस प्रकार संगठनों द्वारा श्रम-बचत प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
  • सामाजिक कारक: पिछले कुछ दशकों में महिलाओं के बीच शिक्षा ने रोजगार के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदल दिया है। हालाँकि, अर्थव्यवस्था इस परिवर्तन का जवाब देने में विफल रही है और इसका परिणाम बेरोजगारी बैकलॉग में निरंतर वृद्धि है।
  • बुनियादी ढांचे के विकास की कमी: निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास की कमी विभिन्न क्षेत्रों की वृद्धि और उत्पादक क्षमता को सीमित करती है, जिससे अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसरों का अपर्याप्त सृजन होता है।

बेरोजगारी दूर करने के उपाय:

  • आत्मानिर्भर भारत रोजगार योजना (ABRY): ABRY को COVID-19 महामारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा लाभ और रोजगार के नुकसान की बहाली के साथ-साथ नए रोजगार के सृजन के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था।
  • श्रम कानूनों का सरलीकरण: संसद ने तीन श्रम संहिता विधेयकों को पारित किया है – व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता, 2020; औद्योगिक संबंध संहिता, 2020; और श्रम सुधारों को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020।
  • श्रम हितों का संरक्षण: श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा विनिर्माण, खनन और सेवा क्षेत्र के लिए मॉडल स्थायी आदेश का मसौदा, 2020 में निश्चित अवधि के रोजगार जैसे प्रावधानों के माध्यम से इनकी परिकल्पना की गई है।
  • डिजी सक्षम: यह तेजी से प्रौद्योगिकी संचालित युग में युवाओं को आवश्यक डिजिटल कौशल प्रदान करके उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए एक डिजिटल कौशल कार्यक्रम है।
  • ई-श्रम पोर्टल: इसे असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण के लिए बनाया गया है। सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सभी पंजीकृत श्रमिकों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) के साथ एक ई-श्रम कार्ड जारी किया जाएगा।

इसके अलावा, सरकार को घटती मांग को संबोधित करने और राष्ट्रीय रोजगार नीति सहित व्यापक रोजगार नीति के माध्यम से पुनर्प्राप्ति में गति की आवश्यकता है। परिवर्तित होते समय की मांगों के आधार पर लोगों को कौशल प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

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