चेहरा पहचान प्रणाली (Facial Recognition System: FRS)
देश में चेहरा पहचान प्रणाली (Facial Recognition System: FRS) चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी ।
यह प्रणाली प्रथम चरण में मार्च 2023 तक कोलकाता, वाराणसी, पुणे, विजयवाड़ा, बेंगलुरु, दिल्ली और हैदराबाद हवाई अड्डों पर स्थापित की जाएगी।
- FRS नागरिक उड्डयन मंत्रालय की डिजी (DIGI) यात्रा पहल का हिस्सा है। यह प्रणाली हवाई अड्डों पर यात्रियों को बाधा रहित और परेशानी मुक्त यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी। साथ ही, यह सुरक्षा व्यवस्था में भी सुधार करेगी।
- इस पहल के साथ, सरकार टिकट बुकिंग, हवाई अड्डा परिसर में प्रवेश, बोर्डिंग पास, सिक्यूरिटी चेक-इन आदि को डिजिटल बनाने पर विचार कर रही है।
- चेहरा पहचान प्रणाली (FRS) किसी व्यक्ति के चेहरे का उपयोग करके उसकी पहचान करने या उसकी पहचान की पुष्टि करने का एक तरीका है। इसका उपयोग फोटो, वीडियो या रीयल-टाइम में लोगों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है।
- कंप्यूटर एल्गोरिदम, चेहरे पर मौजूद विशिष्ट चिह्नों जैसे कि चीक बोन (आँख के नीचे की हड्डी) के आकार, होंठों की आकृति आदि को मैप या खाका तैयार करते हैं। ये फिर इन्हें एक संख्यात्मक कोड में बदलते हैं जिसे फेसप्रिंट कहा जाता है।
- इसके बाद सत्यापन या पहचान के लिए, यह सिस्टम फेसप्रिंट के एक बड़े मौजदा डेटाबेस के साथ “फेसप्रिंट” की तुलना करता है।
चेहरा पहचान प्रणाली (FRS) के उपयोगः
- इससे एंट्री पॉइंट्स, सुरक्षा जांच आदि जैसे चेकपॉइंट्स पर ऑटोमेटिक प्रोसेसिंग संभव हो पाएगी।
- इससे अपराध की जांच करने में मदद मिलेगी तथा यह आसान और तेज विश्लेषण के लिए सूचना उपलब्ध कराएगी।
- अपराधियों, लापता बच्चों / व्यक्तियों, अज्ञात शवों आदि की पहचान में मदद मिलेगी।
FRS के बारे में व्यक्त की गयी चिंताएं:
- सरकार इसका इस्तेमाल व्यापक निगरानी के लिए कर सकती है,
- इससे निजता का उल्लंघन हो सकता है,
- चूंकि, भारत में अभी कोई डेटा संरक्षण कानून नहीं है, अतः इसके अभाव में ड्यू प्रॉसेस (वैध प्रक्रिया) का उल्लंघन किया जा सकता है।
स्रोत– द हिंदू