जैविक उत्पादों के निर्यात हेतु संशोधित यूरोपीय संघ के नियम
हाल ही में APEDA ने जैविक उत्पादों पर यूरोपीय संघ (EU) के संशोधित विनियमों को लेकर, भारतीय निर्यातकों के लिए एक वेबिनार आयोजित किया है।
- EU, भारतीय जैविक खाद्य उत्पादों (ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट्स) के लिए दूसरा प्रमुख निर्यात गंतव्य है। EU में भारत से निर्यात किए जाने वाले कुल जैविक खाद्य उत्पादों का लगभग 34 प्रतिशत निर्यात किया जाता है।
- मध्य प्रदेश जैविक उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक का स्थान है।
- जैविक उत्पादों में सबसे बड़ा हिस्सा तिलहन का है। इसके बाद रेशेदार फसलों, सुगर क्रॉप्स, अनाज और मोटे अनाज आदि का हिस्सा है।
जैविक खाद्य उत्पादों का सर्टिफिकेशनः
ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशनः यह जैविक खाद्य के उत्पादकों के लिए सर्टिफिकेशन की एक प्रक्रिया है। इसमें आम तौर पर खाद्य पदार्थों को उगाने से लेकर भंडारण, प्रसंस्करण, पैकेजिंग और शिपिंग हेतु उत्पादन संबंधी मानकों को निर्धारित किया जाता है।
भारत में ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन से संबंधित दो योजनाएं हैं:
- निर्यात के लिए राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (National Programme on Organic Production: NPOP):
- इसे वर्ष 2020 में आरंभ किया गया था। यह एक तरह का थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन है। इसके तहत मान्यता प्राप्त जैविक सर्टिफिकेशन एजेंसी द्वारा राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार खेत या कृषि उत्पाद के प्रसंस्करण को प्रमाणित किया जाता है।
- “एपीडा” (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कार्यरत) द्वारा सर्टिफिकेशन का संचालन किया जाता है। एपीडा (APEDA) का पूरा नाम है- कृषि तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority)
- पार्टिसिपेटरी गारंटी स्कीम फॉर इंडिया (PSG-इंडिया):
- इसके तहत उत्पादकों द्वारा एक-दूसरे की उत्पादन पद्धतियों का आकलन, निरीक्षण और सत्यापन किया जाता है। इसका संचालन कृषि मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र के माध्यम से किया जाता है।
भारत में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं:
- परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY);
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला (Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region: MOVCDNER)
स्रोत – द हिंदू