UNEP द्वारा “रोगाणुरोधी प्रतिरोध के पर्यावरणीय आयाम” (AMR) नामक रिपोर्ट जारी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने “रोगाणुरोधी प्रतिरोध के पर्यावरणीय आयाम” (Environmental Dimensions of Antimicrobial Resistance: AMR) नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है ।
किसी सूक्ष्मजीव (जैसे कि बैक्टीरिया, वायरस और कुछ परजीवी) की किसी रोगाणुरोधी दवाओं (जैसे कि एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल और एंटीमलेरियल) को स्वयं के विरुद्ध काम करने से रोकने की क्षमता को AMR कहते हैं।
इस रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षः
- AMR के कारण से वर्ष 2050 तक प्रति वर्ष एक करोड़ लोगों की मौत हो सकती है।
- वर्ष 2030 तक, AMR की वजह से सकल घरेलू उत्पाद में प्रति वर्ष 4 ट्रिलियन डॉलर की कमी आ सकती है। साथ ही, अतिरिक्त 24 करोड़ लोग चरम निर्धनता की श्रेणी में धकेले जा सकते हैं।
AMR के प्रमुख स्रोतः
- स्वच्छता का निम्नस्तर, सीवेज और अपशिष्ट प्रवाहः कचरे के खुले ढेर से होने वाला रिसाव और शहरी अपशिष्ट प्रवाह आदि।
- दवा विनिर्माण इकाइयों से होने वाला बहिःस्राव (Effluent) और संबंधित अपशिष्ट।
- स्वास्थ्य केंद्रों से होने वाला बहिःस्राव और संबंधित अपशिष्टः अस्पताल के कचरे में मौजूद रोगाणुरोधी उत्पाद और अपशिष्ट, प्रतिरोधी सूक्ष्मजीव आदि।
- फसल उत्पादन में रोगाणुरोधी और खाद का उपयोगः कवकनाशी, शाकनाशी, भारी धातुओं और एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग, अनुपचारित खाद और अपशिष्ट जल आदि।
- पशुपालन से होने वाला बहिःस्राव और अपशिष्टः अप्रयुक्त दवाओं का अनुचित निपटान, जलीय कृषि में एंटीबायोटिक का उपयोग आदि।
इस रिपोर्ट में दिए गए सुझावः
- पर्यावरण गवर्नेस, योजना और विनियामक ढांचे में सुधार करना।
- प्राथमिकता के आधार पर AMR से संबंधित प्रदूषकों की पहचान कर उन्हें लक्षित करना।
- रिपोटिंग, सर्विलांस और निगरानी में सुधार करना।
- वित्तपोषण, नवाचार और क्षमता विकास को प्राथमिकता देना।
स्रोत –द हिन्दू