आवासीय भवनों के लिए ऊर्जा संरक्षण मानदंड होंगे लागू
हाल ही में आवासीय भवनों के लिए ऊर्जा संरक्षण मानदंड अनिवार्य किये जा सकते हैं ।
हाल ही में सरकार नए आवासीय भवनों को ऊर्जा दक्षता संहिता का अनुपालक बनाने की योजना बना रही है। इससे वर्ष 2030 तक 300 बिलियन बिजली यूनिट के उत्पादन से बचा जा सकेगा।
इस प्रकार इससे 1,20,000 करोड़ रुपये की बिजली की बचत की जा सकेगी।
यह संहिता 100 किलोवाट लोड की खपत करने वाले नए आवासीय परिसरों पर लागू होगी।
यह प्रस्ताव वर्ष 2030 तक ऊर्जा गहनता (Energy Intensity) को 45% तक कम करने की भारत की प्रतिबद्धता का हिस्सा है। इसके लिए विद्युत संरक्षण अधिनियम (ECA) में संशोधन करने की आवश्यकता होगी।
विद्युत संरक्षण अधिनियम के अनुसार, केवल वाणिज्यिक भवनों के लिए ही ऊर्जा दक्षता संहिता का अनुपालन करना अनिवार्य किया जा सकता है।
वर्ष 2017 में, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) ने वाणिज्यिक भवनों के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ECBC) जारी की थी।
विदित हो कि इस ब्यूरो को विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया था।
वर्ष 2018 में, BEE ने आवासीय भवनों के लिए एक अलग इको निवास संहिता (ENS) जारी की थी।
ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए उठाए गए कदम
- ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट (गृह/GRIH): इसे द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (TERI) ने लॉन्च किया है। यह ग्रीन रेटिंग, लोगों को कुछ राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य मानकों पर अपने भवन के प्रदर्शन का आकलन करने में मदद करती है।
- परफॉर्म अचीव एंड ट्रेड (PAT) योजनाः इसे ऊर्जा गहन उद्योगों में ऊर्जा दक्षता में सुधार में तेजी लाने के लिए आरंभ किया गया है।
- ऊर्जा दक्ष घरों के लिए ऑनलाइन स्टार रेटिंग टूलः इसे व्यक्तिगत घरों में ऊर्जा दक्षता में सुधार करने और ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए निर्मित किया गया है।
ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) का अर्थ समान कार्य को करने या समान परिणाम प्राप्त करने के लिए ऊर्जा का कम उपयोग है।
ऊर्जा कुशल घर और इमारतें गर्म या ठंडा करने तथा उपकरणों एवं इलेक्ट्रॉनिक्स को चलाने के लिए कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं। इसी प्रकार, ऊर्जा-कुशल विनिर्माण प्रतिष्ठान वस्तुओं के उत्पादन के लिए कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
स्रोत – द हिंदू