विद्युत संयंत्रों द्वारा फ्लाई ऐश के उपयोग हेतु मानदंड अधिसूचित
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने विद्युत संयंत्रों द्वारा फ्लाई ऐश के उपयोग के लिए मानदंडों को अधिसूचित किया है।
- MoEFCC ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत प्रदत शक्तियों का उपयोग करते हुए नवीनतम संशोधनों को अधिसूचित किया है।
- इन संशोधनों का उद्देश्य देश में कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (TPP) द्वारा फ्लाई ऐश का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है ।
प्रमुख संशोधन
- जिन क्षेत्रों में फ्लाई ऐश भंडारित है, उनका वृक्षारोपण के साथ-साथ सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करके भी पुनरुद्धार किया जा सकता है।
- फ्लाई ऐश से बनी ईंटों पर आरोपित उच्चतम मूल्य सीमा समाप्त कर दी गई है।
- प्रयोज्य (applicable) अनुपालन चक्र के अनुसार उपयोग करने संबंधी लक्ष्य 1 अप्रैल, 2022 से लागू हुए हैं।
फ्लाई ऐश के बारे में
- कोयला जलाने के बाद बचा खनिज पदार्थ ऐश कहलाता है। एक विद्युत संयंत्र में, ऐश का एक बड़ा हिस्सा फ़्लू गैसों के साथ प्रवाहित करके इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर्स के उपयोग के माध्यम से फ़िल्टर किया जा सकता है।
- फ़्लू गैसों के साथ प्रवाहित होने के कारण इसे फ्लाई ऐश कहा जाता है।
- इसमें सिलिका, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड की पर्याप्त मात्रा होती है। इसमें सूक्ष्म मात्रा में आर्सेनिक, बोरोन, क्रोमियम, लेड आदि भी होते हैं।
- अनुचित रखरखाव के कारण, इसे उपेक्षित मानकर गड्ढों में बड़ी मात्रा में भंडारित कर दिया जाता है। इस प्रकार यह सतह और भूजल को प्रदूषित करती रहती है।
- इसका उपयोग पोर्टलैंड सीमेंट, ईंटों व टाइलों के निर्माण में; अपशिष्ट गैसों, पेयजल आदि के शुद्धिकरण के लिए अवशोषक के निर्माण में इत्यादि ।
फ्लाई ऐश के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय
- कोयला और लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए तीन से पांच वर्षों के भीतर फ्लाई ऐश का 100% उपयोग करना अनिवार्य बनाया गया है।
- ऐश के प्रबंधन के लिए ऐश ट्रैक नामक मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है।
- सभी प्रासंगिक सरकारी योजनाओं में फ्लाई ऐश आधारित उत्पादों का उपयोग अनिवार्य किया गया है । प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना इसका एक उदाहरण है ।
स्रोत – द हिन्दू