आर्थिक सर्वेक्षण में वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने की सिफारिश
हाल ही में आर्थिक सर्वेक्षण में वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है ।
आर्थिक सर्वेक्षण में जैविक उर्वरकों के साथ नैनो यूरिया जैसे वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग की सिफारिश की गई है। वैकल्पिक उर्वरक मिट्टी की रक्षा करते हैं, अधिक उपज देते हैं और पोषक तत्वों के ज्यादा कुशल उपयोग को भी बढ़ावा देते हैं।
सर्वेक्षण में की गई अन्य सिफारिशें
- ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित निर्णय समर्थन प्रणालियों सहित नई तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।
- रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाई जानी चाहिए। साथ ही, खेती के प्राकृतिक तरीकों पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
- कम लागत वाले जैविक इनपुट का उपयोग किया जाना चाहिए।
- कृषि क्षेत्र में नवाचारों के लिए स्टार्टअप्स का समर्थन करना चाहिए।
सरकार उर्वरक निर्माताओं/आयातकों के माध्यम से किसानों को रियायती मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध करा रही है। यूरिया को कानूनी रूप से अधिसूचित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके विपरीत, फॉस्फेटिक और पोटाश (P-K) उर्वरक के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना संचालित की गई है। दिसंबर 2021 तक 85,300 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी दी चुकी है।
उर्वरक के अधिक उपयोग से जुड़ी समस्याएं
- सब्सिडी का अत्यधिक बोझ, क्योंकि भारत उर्वरक सब्सिडी पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है।
- बहु-पोषक तत्वों की कमी और मृदा स्वास्थ्य में गिरावट भी एक समस्या है।
- भूजल में नाइट्रेट संदूषण की संभावना होती है।
सब्सिडी व्यवस्था को और अधिक कुशल बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायः
- नई यूरिया नीति 2015 लागू की गई है।
- नीम लेपित यूरिया का उत्पादन किया जा रहा है।
- कोयला गैसीकरण जैसी नवीनतम तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण का कार्यान्वयन किया गया है।
स्रोत –द हिन्दू