हाल ही में ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के लिए ‘राष्ट्रीय परियोजना’ का दर्जाप्रदान किए जाने की माँग की जा रही है।
- पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 40,000 करोड़ रुपए है और यदि इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलने से मुख्य लाभ यह होगा कि परियोजना को पूर्ण करने के लिए 90% राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
- राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना’ को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने संबंधी मांग का प्रमुख कारण इस परियोजना की भारी भरकम लागत बताया गया है।
‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना’ (ERCP) के विषय मे कुछ मुख्य बिन्दु:
- ERCP का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों (कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध) में वर्षा ऋतु के दौरान उपलब्ध अधिशेष जल का उपयोग राज्य के उन दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है जहाँ पीने के पानी और सिंचाई हेतु जल का अभाव है।
- ERCP में राजस्थान के 13 ज़िलों में पीने का पानी और 26 विभिन्न बड़ी एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
- इस परियोजना के माध्यम से दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारेमें भी पानी की आपूर्ति की जाएगी साथ ही इस क्षेत्र मेंबाढ़ और सूखे की स्थिति का भी समाधान किया जाएगा।
परियोजना की आवश्यकता:
- राज्य जल संसाधन विभाग, राजस्थानके अनुसार, राजस्थान, क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, और इसका भौगोलिक क्षेत्रफल 52 लाख हेक्टेयर है, यह पूरे देश के क्षेत्रफल का 10.4 प्रतिशत है, किंतु इस राज्य में भारत के सतही जल का मात्र 1.16 प्रतिशत एवं भूजल का मात्र 1.72 प्रतिशत जल उपलब्ध है।
- राजस्थान के सभी जल निकायों में सेमात्र चंबल नदी के बेसिन में अधिशेष जल उपलब्ध रहता है।किन्तु , इस जल का सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि कोटा बैराज के आसपास का क्षेत्र मगरमच्छ अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया है ।
- अतः, ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना’ (ERCP) का उद्देश्य जल-धाराओं के एक नेटवर्क का निर्माण करना है तथा यह नेटवर्क, राजस्थान के 67 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तारित होगा एवं राज्य की 13 प्रतिशत आबादी को जलापूर्ति करने में सक्षम होगा।
स्रोत – द हिन्दू