‘आधार‘ के संबंध में निजता की सुरक्षा
हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने ‘आधार’ के संबंध में निजता की सुरक्षा और एक ही व्यक्ति को डुप्लीकेट आधार कार्ड जारी होने पर आपत्ति प्रकट की है ।
कैग (CAG) ने “भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण” (UIDAI) के कामकाज, और परफॉरमेंस के बारे में पहली बार एक समीक्षा रिपोर्ट तैयार की है। इसी रिपोर्ट में ‘आधार’ नंबर के बारे में ये टिप्पणियां की गई हैं।
वर्ष 2010 से आधार कार्ड बनाने का कार्य शुरू हुआ था। यह दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक आधारित पहचान प्रणालियों में से एक है। इसकी कार्यान्वयन एजेंसी UIDAI है।
आधार कानून, 2016 के पास होने के बाद UIDAI को एक कानूनी संस्था का दर्जा प्राप्त हुआ। आधार कानून, 2016 का पूरा नाम है- “आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी,लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016” {Aadhaar (Targeted Delivery of Financial and Other Subsidies, Benefits and Services) Act, 2016}
इस रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों पर एक नज़रः
- मुद्दा : निवास स्थिति (residential status) की पुष्टि के लिए UIDAI द्वारा कोई भी विशेष प्रूफ/डॉक्यूमेंट या प्रक्रिया का उल्लेख नहीं किया गया है।
- आधार कानून के अनुसार, गैर-निवासी व्यक्ति आधार के लिए तभी आवेदन कर सकते हैं, जब वे पिछले 1 साल में 182 दिनों के लिए भारत में रहे हों।
- कैग की रिपोर्ट के अनुसार, UIDAI के पास इसे सत्यापित करने का कोई तरीका उपलब्ध नहीं है।
- समाधान : इसके लिए कैग की रिपोर्ट में स्व-घोषणा (self-declaration)के अलावा, एक उचित कार्यपद्धति अपनाने और आवश्यक डाक्यूमेंटेशन की सिफारिश की गयी है।
- मुद्दा : UIDAI ने अधूरी जानकारी और बेकार गुणवत्ता वाले बायोमेट्रिक के साथ आधार नंबर जारी किए हैं। ऐसे में एक ही व्यक्ति को डुप्लीकेट आधार कार्ड जारी करने के मुद्दे, दोहराव/फर्जीवाड़ा को समाप्त करने की प्रक्रिया में खामियों का संकेत देते हैं।
- समाधान : बॉयोमीट्रिक सेवा प्रदाताओं के सर्विस लीगल एग्रीमेंट्स के मानकों को सख्त करने की जरूरत है।
- मुद्दा: पांच साल से कम उम्र के नाबालिग बच्चों को आधार नंबर (यानी बाल आधार) जारी करना, आधार कानून के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है। इसकी भारी लागत वहन करनी पड़ी है।
- समाधान : बायोमेट्रिक की विशिष्टता (uniqueness) को कैप्चर (संग्रहित) करने के लिए वैकल्पिक तरीकों को तलाशने की जरूरत है।
- मुद्दा : सभी आधार कार्ड्स को व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित डाक्यूमेंट्स के साथ नहीं जोड़ा गया है।
- समाधान : अनुपलब्ध डाक्यूमेंट्स की पहचान करने और इनका मिलान करने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है, ताकिकिसी भी कानूनी जटिलता से बचा जा सके।
- मुद्दा : सत्यापन त्रुटियों (uthentication errors) के लिए जिम्मेदार कारकों का पता लगाने के लिए कोई सिस्टम मौजूद नहीं है।
- समाधान : जिन मामलों में विफलता सामने आयी है, उनका विश्लेषण करके सत्यापन मामलों की सफलता दर में सुधार किया जाना चाहिए।
- मुद्दा : भारत में आधार कार्ड सिस्टम से जुड़ने के लिए अलग-अलग संस्थाएँ और ऑथेंटिकेशन सर्विस एजेंसियाँ आवेदन करती हैं। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि, आधार इकोसिस्टम में शामिल किये जाने से पहले उनकी अवसंरचना और तकनीकी सहायता दल का कोई सत्यापन नहीं किया जाता है।
- समाधान : ऐसी संस्थाओं की सेवा लेने से पहले इनकी अवसंरचना और तकनीकी सहायता दल का पूरी तरह से सत्यापन जरूरी है।
- मुद्दा : डेटा को भंडारित करने के लिए कोई आर्काइव नीति मौजूद नहीं है। जबकि, आर्काइव नीति को डेटा आदि के भंडारण और प्रबंधन के मामले में सबसे बढ़िया तरीका माना जाता है।
- समाधान : आर्काइव नीति के होने से मूल्यवान डेटा स्पेस के भर जाने जैसी स्थिति नहीं आती है।
स्रोत –द हिन्दू