ऊर्जा भंडारण प्रणाली (ESS) से संबंधित प्रारूप नीति पर चर्चा
हाल ही में विद्युत एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने ऊर्जा भंडारण प्रणाली (ESS) से संबंधित प्रारूप नीति पर चर्चा की है ।
नीति का उद्देश्य विद्युत क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला में व्यापक पैमाने पर भंडारण प्रणालियों के निर्माण को बढ़ावा देना है। इसमें उत्पादन, पारेषण और वितरण सभी स्तरों को शामिल किया गया है।
प्रारूप नीति की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
- ESS, विद्युत अधिनियम के तहत विद्युत व्यवस्था का एक अभिन्न भाग होगा।
- लोग स्टैंडअलोन ESS स्थापित कर सकते हैं।
- विकासकर्ता को अंतर-राज्यीय पारेषण कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी। साथ ही, उन्हें देश के किसी भी भाग से विद्युत को खरीदने या बेचने की अनुमति होगी।
- भंडारण के लिए सतत नवीकरणीय ऊर्जा के साथ शामिल ESS की मात्रा की गणना, नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्व (RPO) के रूप में की जाएगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा के लिए पारेषण लागत में छूट दी जाएगी। यह छूट भंडारण शुल्क वसूल करते समय और संग्रहीत नवीकरणीय ऊर्जा के विक्रय के दौरान दी जाएगी।
ESS का महत्वः
भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित होगी। बैटरियों के साथ-साथ ईंधन पर आयात बिल में कमी आएगी। स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC) लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
चुनौतियांः
परियोजना को वित्तीय व्यवहार्यता प्रदान करना; तकनीकी चुनौतियां; भूमि अधिग्रहण जैसे बुनियादी ढांचागत मुद्दों का समाधान करना; लिथियम, कोबाल्ट आदि जैसे खनिजों के अल्प भंडार इत्यादि।
इससे पहले, सरकार ने ESS को बढ़ावा देने के लिए नेशनल मिशन ऑन ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी एंड बैटरी स्टोरेज प्रारंभ किया था।
ऊर्जा भंडारण प्रणालियां (ESS)
ऊर्जा भंडारण प्रणालियां ऐसे उपकरण हैं, जो सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा का भंडारण आसान बनाते हैं। जब ग्राहकों को विद्युत की अधिक आवश्यकता होती है, तब भंडारित ऊर्जा की आपूर्तिभी करते हैं।
ग्रिड ऊर्जा भंडारण की प्रमुख प्रौद्योगिकियां
बैटरी, पंप युक्त जल-विद्युत भंडारण, संपीडित वायु ऊर्जा भंडारण, तापीय भंडारण, हाइड्रोजन, फ्लाईव्हील्स/चक्का आदि।
स्रोत -द हिन्दू