सरकारी योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल के वितरण को मंजूरी
हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने सरकारी योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल के वितरण को मंजूरी प्रदान कर दी है ।
- मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने वर्ष 2024 तक चरणबद्ध तरीके से सरकार द्वारा संचालित खाद्य योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति को मंजूरी दी है।
- यह कदम सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पोषण की कमी की समस्या से निपटने पर लक्षित है।
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के माध्यम से फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति निम्नलिखित योजनाओं के तहत की जाएगीः
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)
- समेकित बाल विकास सेवाएं (ICDS)
- प्रधान मंत्री पोषण योजना और
- अन्य कल्याणकारी योजनाएं (OWS)
चावल के फोर्टिफिकेशन का पूरा खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
इस योजना का पूर्ण कार्यान्वयन निम्नलिखित तीन चरणों में किया जाएगा–
- चरण– 1: मार्च, 2022 तक पूरे भारत में ICDS और प्रधान मंत्री पोषण योजना को कवर करना। इसका पहले से क्रियान्वयन किया जा रहा है।
- चरण– 2: इस चरण को मार्च 2023 तक पूरा किया जाना है इसके तहत चरण-1 की योजनाओं के साथ-साथ TPDS और OWS का सभी आकांक्षी एवं ठिगनेपन के अत्यधिक मामलों वाले जिलों (कुल 291 जिलों) में कार्यान्वयन किया जायेगा।
- चरण– 3: उपर्युक्त चरण-2 के साथ-साथ मार्च 2024 तक देश के शेष जिलों को कवर किया जायेगा।
चावल का फोर्टिफिकेशन पोषण आहार की आवश्यकता में सुधार पर लक्षित है। यह खाद्य साधारण चावल में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिश्रित करने की एक प्रक्रिया है। आमतौर पर आयरन, विटामिन B12 और फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्वों का समावेश किया जाता है।
चावल फोर्टिफिकेशन के लाभ:
- अल्पपोषित और सुभेद्य आबादी के पोषण स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- रक्त की कमी (एनीमिया) से निपटा जा सकेगा।
- यह लागत प्रभावी भी है।
- गर्भावस्था के दौरान बच्चे के विकास में सहायक है।
एक्सट्रूज़न तकनीक (Extrusion Technique)
- भारत में, चावल को एक्सट्रूज़न तकनीक का उपयोग करके फोर्टिफाइड किया जाता है।
- इस तकनीक में पिसे हुए चावल को चूर्णित किया जाता है एवं विटामिन और खनिजों वाले पूर्व मिश्रण के साथ मिलाया जाता है।
- इस मिश्रण से एक एक्सट्रूडर मशीन का उपयोग करके फोर्टिफाइड चावल के दाने (Fortified rice – kernels: FRK) तैयार किए जाते हैं।
- फोर्टिफाइड चावल के दानों को पारंपरिक चावल में 1:50 से 1:200 के अनुपात में मिलाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप फोर्टिफाइड चावल सुगंध, स्वाद और बनावट में पारंपरिक चावल के लगभग समान हो जाते हैं।
स्रोत –द हिन्दू