वन्य जीव कानून की उपेक्षा का मामला

वन्य जीव कानून की उपेक्षा का मामला

हाल ही में मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने सड़क निर्माण के लिए सतपुड़ा-पेंच गलियारे को बाधित कर दिया है। क्योंकि मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने कथित तौर पर वन और वन्य जीव कानून की उपेक्षा की है।

निगम ने सतपुड़ा-मेलघाट-पेंच बाघ गलियारे को बाधित कर राज्य राजमार्ग (SH) 43 का विस्तार किया है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने इसके लिए पहले चार एनिमल अंडरपास (प्रत्येक 300 मीटर), शोर अवरोधक, गाइड वॉल, बाड़बंदी, मंकी लैडर्स आदि की सिफारिश की थी।

बाद में, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति ने भी शमन उपायों के साथ परियोजना की सिफारिश की थी।

भारत में वन्यजीव परियोजनाओं की मंजूरी:

  • जिन परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती है, उनके लिए वन्यजीव मंजूरी की भी जरूरत नहीं होती है।
  • कुछ मामलों में संरक्षित क्षेत्रों के बाहर परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति से पूर्व मंजूरी आवश्यक है। उदाहरण के लिए प्रस्तावित परियोजना का अधिसूचित पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र के भीतर होना और पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना, 2006 में सूचीबद्ध होना आदि।
  • NTCA यह सुनिश्चित कर सकता है कि एक संरक्षित क्षेत्र को दूसरे संरक्षित क्षेत्र से जोड़ने वाले टाइगर रिज़र्व और गलियारों को डायवर्ट न किया जाए। साथ ही, उनका पारिस्थितिक रूप से असंधारणीय उपयोग भी वर्जित किया जाए। इन गलियारों का डायवर्सन अथवा अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग, केवल जनहित के मामले में तथा NBWL और NTCA के अनुमोदन के बाद ही किया जा सकता है।

वन्य जीवों पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का प्रभाव

सड़कें, बांध और अन्य बुनियादी ढांचे ध्वनि, वायु और जल प्रदूषण उत्पन्न कर सकते हैं। ये समस्याएं विकास प्रक्रियाओं के बढ़ने के साथ ही बढ़ती जाती हैं।

  • पर्यावास विखंडन और हानि।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष।
  • वन्यजीवों के प्रवास मार्ग अवरुद्ध होते हैं।

स्रोत द हिन्दू

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