वैश्विक बैंकिंग संस्था द्वारा भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की सराहना
हाल ही में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (BIS) ने भारत के डेटा एम्पावरमेंट प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) का समर्थन किया है।
- DEPA बेहतर डेटा गवर्नेस दृष्टिकोण के लिए एक संयुक्त सार्वजनिक-निजी प्रयास है। यह एक डिजिटल ढांचा तैयार करता है। यह ढांचा उपयोगकर्ताओं को सहमति प्रबंधकों जैसी तीसरे पक्ष की संस्थाओं के माध्यम से अपनी शर्तों पर अपना डेटा साझा करने की अनुमति देता है।
- DEPA का पहला उपयोग वित्तीय क्षेत्र में रहा है। यह अधिक समावेशन और आर्थिक विकास में योगदान करता है।
- इसका परीक्षण स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी किया जा रहा है।
- DEPA इंडिया स्टैक की अंतिम परत बनाता है।
- इंडिया स्टैक एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (APIs) का एक सेट है। यह सरकारों, व्यवसायों, स्टार्टअप्स और डेवलपर्स को एक विशेष डिजिटल अवसंरचना का उपयोग करने की अनुमति देता है। यह बिना उपस्थित हुए तथा कागज रहित और नकदी रहित सेवा वितरण पर लक्षित है।
DEPA का महत्व
- यह लोगों को उनके डेटा तक निर्बाध और सुरक्षित रूप से पहुंच प्राप्त करने में मदद करता है। साथ ही, इसे तृतीय पक्ष संस्थानों के साथ साझा करने का अधिकार भी देता है।
- इसमें निजी ‘सहमति प्रबंधक संस्थान शामिल हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति सुरक्षित रूप से साझा किए गए डेटा के लिए सहमति प्रदान कर सकते हैं और डेटा अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।
- यह छोटे व्यवसायों को किफायती ऋण, बीमा और बेहतर वित्तीय प्रबंधन उत्पादों को आसानी से प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
- यह लेनदेन की लागत में कमी करता है और प्रतिस्पर्धा बढ़ाता है।
बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (BIS) के बारे में
- BIS की स्थापना वर्ष 1930 में हुई थी। इसका स्वामित्व 63 केंद्रीय बैंकों के पास है। भारतीय रिज़र्व बैंक भी इसका एक सदस्य है। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के बेसल में है।
- BIS का कार्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता प्राप्ति में सहायता करना है। यह केंद्रीय बैंकों के लिए एक बैंक के रूप में कार्य करता है।
स्रोत –द हिन्दू