विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) भारत के लिए अनुकूल EV बैटरियां विकसित करेगा
हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) आपसी सहयोग से भारत के लिए अनुकूल EV बैटरियां विकसित करने के लिए सहमत हुए हैं।
भारत में नई इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए एक रोडमैप के तहत एक श्वेत पत्र जारी किया जाएगा। इसके बाद एक विशेषज्ञ – उद्योग मंच स्थापित किया जाएगा।
EVs बैटरी से प्राप्त इलेक्ट्रिक ऊर्जा से संचालित होते हैं। ये बैटरियां कई तरह की होती हैं, जैसे; लिथियम-आयन, सॉलिड स्टेट निकल – मेटल हाइड्राइड, जिंक – एयर बैटरियां आदि ।
हाल के महीनों में, EVs में आग लगने की कई घटनाओं के घटित होने के बाद EVs की सुरक्षा को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई हैं।
इस सहयोग पहल के तहत दोनों पक्षों के बीच EV बैटरियां विकसित करने के लिए निम्नलिखित पर भी चर्चाएं हुई:
बैटरी और तापीय प्रबंधन प्रणालियों के मामले में भारतीय वाहनों की जरूरतों तथा जलवायु संबंधी दबावों का आकलन करना ।
उपयोग के अनुसार EV बैटरियों का निर्माण करना । उदाहरण के लिए सार्वजनिक परिवहन में लिथियम – टाइटेनेट बैटरियां, ई-रिक्शा के लिए सोडियम आयन बैटरियां आदि ।
स्थानीय रूप से उपयुक्त बैटरी प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए प्रदर्शन और सुरक्षा मापदंडों पर डेटाबेस तैयार करना ।
पूरी तरह से उपयोग कर ली गई बैटरी की रीसाइक्लिंग करना ।
बैटरी की पूर्ण उपयोग अवधि के दौरान उसके प्रदर्शन में धीरे-धीरे गिरावट पर ध्यान देना ।
EVs की सुरक्षा के लिए की गई पहलें
भारी उद्योग मंत्रालय ने सब्सिडी प्राप्त करने वाले EVs के लिए नए सुरक्षा परीक्षण अनिवार्य कर दिए हैं।
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया EVs के परीक्षण और प्रमाणन के लिए अवसंरचना स्थापित कर रहा है।
भारतीय मानक ब्यूरो लिथियम-आयन बैटरी पैक और ट्रैक्शन सिस्टम के लिए प्रदर्शन मानदंड जारी करता है। ये मानदंड व्यापक ISO मानदंडों के अनुरूप हैं।
स्रोत – द हिन्दू