बाघों की संख्या घनत्व का आकलन
हाल ही में, भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन के शुरुआती निष्कर्षों से पता चलता है कि सुंदरबन में बाघों का घनत्व संभवतः इन मैंग्रोव वनों की वहन क्षमता की सीमा तक पहुंच गया है।
वहन क्षमता (Carrying capacity) को किसी विशेष पर्यावास में किसी प्रजाति की औसत आबादी के आकार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। प्रजातियों की आबादी के आकार पर पर्याप्त भोजन, आश्रय, जल और साथी जैसे पर्यावरणीय कारकों का प्रभाव पड़ता है।
यह मानव सतत विकास के मापन और प्रबंधन के लिए भी एक महत्वपूर्ण आधार या मापदंड है।
आवश्यक कदम:
- कोविड-19 के कारण आजीविका के लिए मानवीय हस्तक्षेपों में वृद्धि हुई है। इसलिए, वन के अधिकतम घनत्व को परिभाषित करने वाले नए मानदंडों को संशोधित करने की आवश्यकता है।
- क्षति को कम करने और वन्य जीवन की स्वीकृति को बढ़ावा देने के लिए सतत भूमि उपयोग को पर्याप्त प्रोत्साहन दिए लए सतत भूमि उपयाग का पयाप्त प्रात्साहन दिए जाने की आवश्यकता है।
- सभी टाइगर रिज़र्व के बीच कार्यात्मक संबंध स्थापित किये जाने चाहिए। इससे बाघों का उनकी आबादी में स्वस्थ अन्तर्मिश्रण हो सकेगा।
- वन्यजीवों की नई प्रबंधन रणनीतियों को स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिए।
सुंदरवन के बारे में:
- यह विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव डेल्टा है। यह रॉयल बंगाल टाइगर का पर्यावास स्थल है। यह 10,000 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में विस्तृत है।
- इसका 4,000 वर्ग कि.मी. से अधिक क्षेत्र पश्चिम बंगाल में और शेष बांग्लादेश में है।
- यह एक बायोस्फीयर रिज़र्व, नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व है।
- वर्ष 1987 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
स्रोत –द हिन्दू