मराठी को शास्त्रीय भाषा के रूप मे मान्यता देने की मांग

मराठी को शास्त्रीय भाषा के रूप मे मान्यता देने की मां

  • हाल ही में मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप मे मान्यता देने की माँग की जा रही है।
  • ज्ञात हो कि वर्ष 2013 से केंद्र के पास इस भाषा को शास्त्रीय भाषाकी मान्यता देने सम्बन्धी विधेयक संसद के पास लंबित है।

मुख्य बिंदु

  • भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत- आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है।
  • भारतीय संविधान केअनुच्छेद 344 (1) और 351 के अनुसार, आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओंको शामिल किया गया है । ये भाषाए हैं- असमी, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मैतेई (मणिपुरी), मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू।
  • प्राचीन भाषाओँ की प्राचीन साहित्यक परंपरा का संरक्षण और संवर्धन करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाता है

वर्तमान में भारत में छह शास्त्रीय भाषाएँ हैं-

  1. तमिल (2004)
  2. संस्कृत (2005)
  3. तेलुगु (2008)
  4. कन्नड़ (2008)
  5. मलयालम (2013)
  6. ओड़िया (2014)

2014 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा किसी भाषा को ‘शास्त्रीय भाषा ‘ घोषित करने के लिये निम्नलिखित दिशा निर्देश जारी किये गए –

  • उस भाषा का अभिलिखित इतिहास 1500-2000 साल पुराना होना चाहिए।
  • उस भाषा की साहित्यिक परम्परा स्वयं उसी भाषा की हो न कि किसी अन्य भाषा से उधार ली गई हो। अर्थात भाषा की साहित्यिक परंपरा मौलिक हो।
  • प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का एक हिस्सा हो जिसे बोलने वाले लोगों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता हो।
  • शास्त्रीय भाषा और साहित्य, आधुनिक भाषा और साहित्य से भिन्न हैं इसलिये इसके बाद के रूपों के बीच असमानता भी हो सकती है।

शास्त्रीय भाषा के लाभ

  • भाषा के अनुसंधान और विकास के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान जो एक ही बार मिलेगा।
  • सम्बंधित भाषा के उद्भट विद्वानों को प्रतिवर्ष दो सम्मानजनक पुरस्कार दिए जा सकेंगे।
  • शास्त्रीय भाषा के अध्ययन लिए एक उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना की जा सकेगी।
  • UGC को राज्य सरकार यह अनुरोध कर सकती है कि वह केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में संबंधित भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त प्रतिष्ठित शोधार्थियों के लिये शास्त्रीय भाषा की कुछ सीटें आरक्षित करे ।

स्रोत – द हिन्दू

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