असम, नगालैंड और मणिपुर के कुछ हिस्सों से AFSPA को हटाया गया
हाल ही में गृह मंत्रालय ने असम, नगालैंड और मणिपुर के कुछ हिस्सों से “आर्म्ड फ़ोर्सेज स्पेशल पॉवर्स एक्ट (AFSPA) को हटा दिया है ।
- इन राज्यों में सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार की वजह से कुछ क्षेत्रों से AFSPA को हटाया गया है।
- वर्ष 2014 से 2021 तक, पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद की घटनाओं में 74% की कमी आई है। साथ ही, सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मृत्यु में भी क्रमशः 60% और 84% की कमी आई है।
- इसके अलावा, पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में सक्रिय विद्रोही समूहों के साथ कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनमें वर्ष 2020 का बोडो समझौता, वर्ष 2021 का कार्बी-आंगलोंग समझौता आदि शामिल हैं।
- इस घोषणा के बाद, अब इन तीन राज्यों के कुछ हिस्सों में ही AFSPA लागू रहेगा। इसके अलावा अभी अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों तथा जम्मू और कश्मीर में AFSPA लागू है।
AFSPA के बारे में:
- यह कानून सशस्त्र बलों यानी आर्म्ड फोर्सेज को “अशांत क्षेत्रों” (disturbed areas) में कानून व्यवस्था को बहाल करने के लिए विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है।
- कई बार किसी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का पूरा हिस्सा या कोई हिस्सा हिंसा या उपद्रव के चलते ऐसी स्थिति में पहुँच जाता है कि वहाँ सिविल प्रशासन चलाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जब सिविल प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग करना आवश्यक हो जाता है, तब वहाँ AFSPA की घोषणा की जाती है।
- AFSPA अधिनियम, 1958 की धारा 3 के तहत किसी राज्य या उसके क्षेत्र को “अशांत क्षेत्र” घोषित किया जाता है।
- अशांत क्षेत्र की घोषणा राज्य के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक या केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
कहाँ – कहाँ हटाया गया है–
- नागालैंड 3 जिलों से पूरी तरह से और 4 जिलों से आंशिक रूप से हटा दिया गया है। जिन क्षेत्रों से AFSPA को हटा दिया गया है, वे राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 25% हैं।
- असम में इसे 23 जिलों से पूरी तरह से और 1 जिला से आंशिक रूप से हटा दिया गया है। यहाँ के 9 जिलों में यह कानून अभी भी लागू है। जिन क्षेत्रों से AFSPA को हटा दिया गया है, वे राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 60% हैं
- मणिपुर से इसे 6 घाटी जिलों (Valley districts) से आंशिक रूप से हटा दिया गया है। पहाड़ी जिलों (hill districts) में अभी भी लागू है।
स्रोत-द हिन्दू