गैर-संचारी बीमारियों (NCDs) से होने वाली मौतें
गैर-संचारी बीमारियों (Non-Communicable Disease NCDs ) से होने वाली मौतें वैश्विक महामारी के पहले से ही बढ़ रही थी ।
- वर्ष 2014-16 और वर्ष 2016-17 के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-17 में NCD (जैसे- हृदय या श्वसन संबंधी रोग, आदि) के कारण सबसे अधिक लोगों की मौत हुई। इसी तरह के निष्कर्ष वर्ष 2014-16 में भी देखे गए थे।
- वर्ष 2015-17 में अलग-अलग रोगों के कारण हुई मृत्यु में NCDs की हिस्सेदारी 52.8 प्रतिशत थी।
- इनको स्थायी बिमारियों या रोगों के रूप में भी जाना जाता है। इनसे रोगी लंबे समय तक बीमारी से पीड़ित रहते हैं। साथ ही, इनके इलाज में भी बहुत अधिक समय लगता है। ये बीमारियों मुख्य रूप से आनुवंशिक, मनोवैज्ञानिक, पर्यावरणीय और व्यवहार संबंधी कारकों के कॉम्बिनेशन (संयोजन) का परिणाम होती हैं।
NCDs के मुख्य प्रकार हैं-
- कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, कैंसर, क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज और डायबिटीज।
- कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (हृदयवाहिका रोग), रेस्पिरेटरी डिजीज (श्वसन संबंधी रोग) और डायबिटीज (मधुमेह) से हर साल लगभग 40 लाख भारतीयों की मृत्यु होती है (वर्ष 2016)।
NCD को नियंत्रित करने के लिए भारत द्वारा किए गए उपायः
- NCDs को रोकने के लिए एकीकृत ‘राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिका रोग और स्ट्रोक रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम’ (National Programme for Prevention and Control of Cancer, Diabetes, Cardiovascular Disease and Stroke: NPCDCS) प्रारंभ किया है।
- NCDs की रोकथाम और नियंत्रण के लिए ‘WHO ग्लोबल NCD एक्शन प्लान 2013-2020’ आरंभ किया गया है। इस योजना के संदर्भ में, भारत पहला देश है जिसने विशिष्ट राष्ट्रीय लक्ष्यों और संकेतकों के साथ NCDs के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना को अपनाया है।
अन्य कार्यक्रमों में शामिल हैं
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम आदि।
- प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना से इनडोर वायु प्रदूषण में कमी करने में सहायता मिल रही है।
स्रोत-द हिन्दू