आकाशीय बिजली (Lightning) के गिरने से होने वाली मौतें
लोक सभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने आकाशीय बिजली गिरने के प्रभाव को कम करने के लिए किए गए उपायों के बारे में जानकारी प्रदान की है।
आकाशीय बिजली (Lightning):
- यह वायुमंडल में विद्युत का त्वरित और व्यापक पैमाने पर होने वाला डिस्चार्ज है। आकाशीय बिजली की घटना के बाद कुछ विद्युत धारा की दिशा पृथ्वी की सतह की ओर हो जाती है।
- ये विद्युत डिस्चार्ज 10-12 कि.मी. लंबवत आकार के विशाल नमी वाले बादलों में उत्पन्न होते हैं। साधारणतः इन बादलों का आधार पृथ्वी की सतह से 1-2 कि.मी. की ऊँचाई पर और शीर्ष 12-13 कि.मी. की ऊँचाई पर होता है।
आकाशीय बिजली का निर्माणः
- बड़े बादलों में बर्फ के क्रिस्टल ऊपर और नीचे गति करने के क्रम में आपस में टकराते है। टकराने की इस प्रक्रिया से इलेक्ट्रॉन्स मुक्त होते हैं। इस प्रकार गतिशील स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन्स का और अधिक टकराव होता है। इससे और अधिक इलेक्ट्रॉन्स मुक्त होते हैं। फलतः एक श्रृंखला अभिक्रिया आरंभ हो जाती है।
- इसके परिणामस्वरूप बादल की ऊपरी परत धनात्मक रूप से आवेशित हो जाती है जबकि मध्य परत ऋणात्मक रूप से आवेशित हो जाती है। इससे दोनों परतों के बीच अत्यधिक विद्युत विभवांतर (Potential difference) बन जाता है।
- इस विभवांतर के कारण विद्युत धारा का निर्माण होता है ।
- चूंकि पृथ्वी विद्युत की सुचालक है, इसलिए लगभग 15% – 20% आकाशीय बिजली की दिशा पृथ्वी की ओर मुड़ जाती है।
सरकार द्वारा की गई पहलः
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा तड़ित-झंझा (thunderstorms) और इससे संबंधित मौसमी परिघटनाओं के लिए पांच दिन पहले ही पूर्वानुमान और चेतावनी जारी की जाती है। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology: IITM), पुणे द्वारा लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क स्थापित किया गया है।
- आकाशीय बिजली की सभी गतिविधियों की निगरानी के लिए IITM ने दामिनी लाइटनिंग ऐप विकसित किया है।
- राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा इसके संबंध में एडवाइजरी भी जारी की जाती है।
स्रोत –द हिन्दू