हाथ से मैला उठाना / मैनुअल स्कैवेंजिंग

हाथ से मैला उठाना / मैनुअल स्कैवेंजिंग

हाल ही में, मुंबई में कथित तौर पर ‘हाथ से मैला उठाने’ (Manual Scavenging) के लिए काम पर रखे गए तीन मजदूरों की ‘सेप्टिक टैंक’ में, जहरीले धुएं के कारण दम घुटने से मौत हो गई।

भले ही, भारत में ‘हाथ से मैला उठाने’ पर प्रतिबंध है, लेकिन यह प्रथा अभी भी देश के कई हिस्सों में प्रचलित है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग क्या है?

  • ‘हाथ से मैला उठाना’ से आशय, किसी सीवर या सेप्टिक टैंक से किसी व्यक्ति द्वारा बिना किसी विशेष सुरक्षा उपकरण के अपने हाथों से ही मानव मल की सफाई करने या ऐसे अपशिष्टों को सर पर ढोने की प्रथा से है।
  • भारत में ‘हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013’ (Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act, 2013 – PEMSR) के अंतर्गत इस प्रथा पर प्रतिबंध लागू है।
  • अधिनियम में ‘हाथ से मैला उठाने’ की प्रथा को “अमानवीय प्रथा” के रूप में वर्णित किया गया है और “हाथ से मैला उठाने वालों द्वारा झेले गए ऐतिहासिक अन्याय और अपमान को ठीक करने” की आवश्यकता का उल्लेख किया गया है।

भारत में अभी भीहाथ से मैला उठानेकी प्रथा जारी रहने के कारण:

अधिनियम के प्रवर्तन का अभाव,अकुशल श्रमिकों का शोषण,जाति, वर्ग और आय के विभाजन से प्रेरित प्रथा आदि ।

संविधान में प्रावधान:

  • संविधान में अनुच्छेद 21 में सभी व्यक्तियों के लिए गरिमा के साथ ‘जीवन के अधिकार’ की गारंटी प्रदान की गयी है।
  • यह अधिकार नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के लिए उपलब्ध है। इसलिए ‘हाथ से मैला उठाने’ पर लगाए गए प्रतिबंध को अक्षरश: लागू किया जाना चाहिए।

सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदम:

  • चूंकि ‘हाथ से मैला उठाने वालों’ के रूप में कार्यरत 90% से अधिक कर्मी अनुसूचित जाति के है, अतः ‘अत्याचार निवारण अधिनियम’, 1989 (Prevention of Atrocities Act, 1989) लागू होने के उपरांत, यह ‘स्वच्छता कर्मियों’ के लिए एक एकीकृत गार्ड बन गया है।
  • यह अधिनियम हाथ से मैला उठाने वालों’ को निर्दिष्ट पारंपरिक वृत्तियों से मुक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन चुका है।
  • सफाईमित्र सुरक्षा चुनौती’ (Safaimitra Suraksha Challenge): इसे आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा 2020 में विश्व शौचालय दिवस (19 नवंबर) पर लॉन्च किया गया था।
  • स्वच्छता अभियान ऐप: इस ऐप को ‘अस्वच्छ शौचालयों’ और ‘हाथ से मैला उठाने वालों’ के डेटा को चिह्नित करने और जियोटैग करने के लिए विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य अस्वच्छ शौचालयों को स्वच्छ शौचालयों में परिवर्तित करना तथा और ‘हाथ से मैला उठाने वाले’ सभी कर्मियों को जीवन की गरिमा प्रदान करने के लिए उनके पुनर्वास में सहायता करना है।
  • सुप्रीम कोर्ट का फैसला: 2014 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक आदेश में, सरकार के लिए 1993 से सीवेज के काम में मारे गए लोगों का पता लगाना और प्रत्येक के परिवारों को मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये प्रदान करना अनिवार्य किए गया था।

स्रोत द हिंदू

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