नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सबस्टेंस (NDPS) अधिनियम
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सबस्टेंस (NDPS) अधिनियम, 1985 के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है ।
- याचिका में NDPS अधिनियम के तहत ड्रग्स (मादक द्रव्यों) के व्यक्तिगत उपभोग को गैर-आपराधिक ठहराने की मांग की गई थी।
- याचिकाकर्ता का दावा था कि ड्रग्स उपभोग को आपराधिक बनाने से सामाजिक कलंक को बढ़ावा मिलता है। इससे ड्रग्स के उपयोग से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों के उपचार में बाधा भी उत्पन्न होती है।
- इसके अलावा, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में टिप्पणी की थी कि NDPS अधिनियम में कहीं भी भांग का प्रतिबंधित पेय या प्रतिबंधित ड्रग्स के रूप में उल्लेख नहीं किया गया है।
- NDPS अधिनियम मादक पदार्थों और उनकी तस्करी से संबंधित मुख्य कानून है।
- अधिनियम के अलग-अलग प्रावधान प्रतिबंधित मादक पदार्थों के उत्पादन, निर्माण, बिक्री, रखने, उपभोग, खरीद, ले जाने और उपभोग आदि को दंडित करते हैं।
- चिकित्सा और वैज्ञानिक उद्देश्यों को इन प्रतिबंधों से छुट प्रदान की गई है।
- यह कानून केंद्र सरकार को व्यसनी व्यक्ति की पहचान,उपचार, उपचार के बाद की देखभाल, पुनर्वास और निवारक शिक्षा हेतु आवश्यक उपाय करने के लिए अधिकृत करता है।
- NDPS कानून के प्रशासन और प्रवर्तन से जुड़ी सभी गतिविधियों के समन्वय के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का गठन किया गया है।
NDPS अधिनियम से जुड़ी अन्य चिंताएं:
- अधिकतर मामले मादक द्रव्यों की अवैध बिक्री में शामिल लोगों की बजाय इनका उपभोग करने वालों के खिलाफ दर्ज किए जाते हैं।
- इस अधिनियम के अंतर्गत व्यसनी का अनिवार्य उपचार किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है।
- नशीली दवाओं के उपभोग से जुड़े अपराध अस्पष्ट हैं।
स्रोत – द हिन्दू