सांसदों पर आपराधिक मामले संबंधी विश्लेषण 2023 रिपोर्ट
हाल ही में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने “भारत के लोक सभा और राज्य सभा के वर्तमान सांसदों का विश्लेषण 2023” रिपोर्ट जारी की है ।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- वर्तमान सांसदों पर आपराधिक मामले: विश्लेषण किए गए 763 सांसदों में से 40 प्रतिशत सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है ।
- 25% सांसदों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होना स्वीकार किया है। ऐसे मामलों में हत्या, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि शामिल हैं।
- आपराधिक मामलों वाले सर्वाधिक सांसद केरल से हैं। इसके बाद बिहार और महाराष्ट्र का स्थान है।
- रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक मामलों वाले वर्तमान सांसदों की औसत संपत्ति गैर-आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसदों की संपत्ति की तुलना में अधिक है।
- राजनीति के अपराधीकरण (CoP) से तात्पर्य देश की राजनीतिक प्रणाली में अपराधियों, कानून का उल्लंघन करने वालों और भ्रष्ट व्यक्तियों के प्रवेश से है ।
‘राजनीति के अपराधीकरण‘ के निम्नलिखित कारण हैं:
- राजनीतिक दलों और अपराधियों के बीच बढ़ता गठजोड़,
- मतदाताओं को लुभाने के लिए वोट खरीदने और मुफ्त उपहार (फ्रीबीज) देने की संस्कृति,
- आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के जीतने की अधिक संभावना इत्यादि ।
‘राजनीति के अपराधीकरण‘ के प्रभावः
- शासन – व्यवस्था की गुणवत्ता में गिरावट आती है,
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना कठिन हो जाता है;
- लोक सेवकों की सत्यनिष्ठा प्रभावित होती है आदि ।
आपराधिक उम्मीदवारों की अयोग्यता का कानूनी पहलू:
- भारतीय संविधान में संसद या विधानसभाओं के लिये चुनाव लड़ने वाले किसी आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति की अयोग्यता के विषय में उपबंध नहीं किया गया है।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में विधायिका का चुनाव लड़ने के लिये किसी व्यक्ति को अयोग्य घोषित करने के मानदंडों का उल्लेख है।
- इस अधिनियम की धारा 8 ऐसे दोषी राजनेताओं को चुनाव लड़ने से नहीं रोकती है जिन पर केवल मुकदमा चल रहा है और दोष अभी सिद्ध नहीं हुआ है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन पर लगा आरोप कितना गंभीर है।
- इस अधिनियम की धारा 8(1) और 8(2) के अंतर्गत प्रावधान है कि यदि कोई विधायिका सदस्य (सांसद अथवा विधायक) हत्या, बलात्कार, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने जैसे अपराधों में लिप्त है, तो उसे इस धारा के अंतर्गत अयोग्य माना जाएगा एवं 6 वर्ष की अवधि के लिये अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
‘राजनीति के अपराधीकरण पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्णय:
- पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन बनाम भारत संघ ( 2018 ) वाद: सभी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से पहले भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) के पास अपने आपराधिक रिकॉर्ड की घोषणा करनी होगी ।
- लिली थॉमस बनाम भारत संघ ( 2013) वाद: यदि किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध के लिए न्यूनतम 2 वर्ष के कारावास की सजा दी जाती है, तो ऐसी स्थिति में सदन की उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त हो जाएगी।
स्रोत – द हिन्दू