MSME उद्यमियों को क्रेडिट कार्ड प्रदान करने की सिफारिश
हाल ही में वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने MSME उद्यमियों को क्रेडिट कार्ड प्रदान करने की सिफारिश की है ।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित रूप में योगदान करता है:
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% योगदान करता है,
- भारत के कुल निर्यात में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 48% से अधिक है,
- भारत के कुल विनिर्माण उत्पादन में यह 45% का योगदान करता है और यह क्षेत्रक कुल 34 करोड़ उद्यमों के माध्यम से 11.1 करोड़ रोजगार पैदा करता है।
प्रमुख मुद्दे:
- MSME क्षेत्र के बारे में सूचनाओं की कमी है। वर्ष 2017 के बाद से कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है। वर्ष 2020 में MSME की परिभाषा में बदलाव किया गया था। इससे भी कोई विशेष परिणाम नहीं मिले हैं।
- 70% से अधिक MSMEs अब भी अनौपचारिक संस्थाओं के रूप में कार्य कर रहे हैं।
- MSMEs पर यूके सिन्हा विशेषज्ञ समिति के अनुसार, MSME क्षेत्र में कुल मिलाकर 20-25 लाख करोड़ रुपये का क्रेडिट गैप या ऋण की कमी है।
- औपचारिक वित्तीय स्रोतों से 40% से भी कम कर्ज लिया गया है।
- विश्वसनीय डेटा की कमी के कारण बैंक ऋण देने से बच रहे हैं।
- ये ऋण के लिए बैंकों/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा मांग की जाने वाली जमानती (कोलैटरल) आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होते हैं।
- देरी से भुगतान होने के कारण उन्हें अनौपचारिक स्रोतों से महंगा ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सिफारिशें:
- MSME का नियमित रूप से सर्वेक्षण/गणना की जानी चाहिए। साथ ही, सिडबी (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक) द्वारा तथ्य-आधारित वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट प्रकाशित की जानी चाहिए।
- MSME का एक मजबूत, एकीकृत डिजिटल तंत्र (इकोसिस्टम) बनाया जाना चाहिए।
- क्रेडिट (कर्ज ) की कमी का सटीक अनुमान लगाना चाहिए। साथ ही, उस कमी को दूर करने के लिए एक समयबद्ध रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए।
- नाबार्ड के तहत किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर सिडबी के तहत राष्ट्रव्यापी MSME व्यापार क्रेडिट कार्ड योजना आरंभ की जानी चाहिए। इस पर 2-3% की ब्याज छूट मिलनी चाहिए। केवल उद्यम पोर्टल पर साइन अप करने पर ही कार्ड उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
- कई बैंकों ने MSME क्रेडिट कार्ड/ लघु उद्यमी क्रेडिट कार्ड शुरू किए हैं।
- पूरी तरह से मोबाइल आधारित, आसान, तत्काल, संपर्क रहित व कागज रहित पूंजीगत ऋण के लिए “UPI फॉर MSME लेंडिंग” व्यवस्था निर्मित की जानी चाहिए।
- उद्यम पोर्टल पर MSMEs के पंजीकरण में तेजी लाने के लिए सिडबी को एक “उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म (UAP)” विकसित करना चाहिए। साथ ही, उसे उद्यम मूल्य वर्धित वित्तीय अनुप्रयोगों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करना चाहिए।
स्रोत – द हिंदू