ग्लासगो में COP26 शिखर सम्मेलन
हाल ही में ग्लासगो में COP26 शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री द्वारा राष्ट्रीय वक्तव्य जारी किया गया है ।
शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए निम्नलिखित पांच सार तत्व अर्थात् पंचामृत प्रस्तुत किए हैं:
- भारत वर्ष 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता 500 गीगावाट तक बढ़ायेगा।
- भारत, वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के 50% की पूर्ति नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के माध्यम से करेगा।
- भारत अब से लेकर वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा।
- विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन सबसे कम है। ध्यातव्य है कि वैश्विक आबादी में 17% हिस्सेदारी होने के बावजूद, भारत कुल वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का मात्र 5% ही उत्सर्जित करता है। वर्ष 2030 तक, भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करेगा।
- कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता को सकल घरेलू उत्पाद के प्रति इकाई कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के रूप में मापा जाता है। वर्ष 2070 तक भारत शुद्ध-शून्य (नेट जीरो) उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त कर लेगा।
- शुद्ध शून्य उत्सर्जन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को वायुमंडल से ग्रीनहाउस गैसों की एक समान मात्रा के निराकरण के माध्यम से एक संतुलन को संदर्भित करता है। ये गैसें ही ग्रह के तापमान में वृद्धि कर रही हैं। यह प्रथम अवसर है, जब भारत ने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
पक्षकारों के सम्मेलन (COP) के बारे में
- COP संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) का शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय है।
- UNFCCC का गठन वर्ष 1994 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को स्थिर करने और पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन के खतरे से सुरक्षित करने के लिए किया गया था।
- COP26, जलवायु पर वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के लिए नियमों को अंतिम रूप देने का प्रयास करेगा, जिसे वर्ष 2018 तक पूर्ण किया जाना था।
स्रोत –पीआईबी
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