COP-27 जलवायु शिखर सम्मेलन
हाल ही में मिस्र के शर्म अल शेख में COP-27 जलवायु शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन के दौरान दो नई पहलें शुरू की गई है। जो निम्नलिखित हैं –
इन आवर लाइफटाइम (LiFEtime) अभियान
इस पहल को पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने लॉन्च किया है।
उद्देश्यः 18 से 23 वर्ष की आयु के युवाओं को संधारणीय जीवन शैली के संदेशवाहक बनने के लिए प्रोत्साहित करना । इसके तहत युवाओं को उनके ऐसे जलवायु संबंधी कार्यों को प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जो संधारणीय और विस्तार योग्य हैं।
‘ग्लोबल शील्ड अगेंस्ट क्लाइमेट रिस्क‘
- यह पूर्व–व्यवस्थित वित्तीय सहायता है। इसे जलवायु परिवर्तन से होने वाली क्षति और हानि (losses and damages) के बढ़ते खतरे का सामना कर रहे गरीब एवं सुभेद्य देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया है।
- इसे ग्लोबल शील्ड फाइनेंसिंग फैसिलिटी के तहत विश्व बैंक द्वारा समर्थित किया जाएगा।
- इसे G7 और वल्नरेबली ट्वेंटीज़ (V20) ने लॉन्च किया है।
वल्नरेबली ट्वेंटीज़ (V20): V20 जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रणालीगत रूप से सुभेद्य अर्थव्यवस्थाओं की एक समर्पित सहयोग आधारित पहल है। इसकी स्थापना वर्ष 2015 में पेरू के लीमा शहर में की गई थी।
G–7:
- यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था।
- वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये ब्लॉक की वार्षिक बैठक होती है। G-7 देश यूके, कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं। सभी G-7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं।
अन्य जलवायु कोष–
- हरित जलवायु कोष: इसे वर्ष 2010 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य विकासशील देशों की ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करने और जलवायु अनुकूलन में मदद करना है।
- वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF): इसे वर्ष 1992 के रियो पृथ्वी सम्मेलन के दौरान स्थापित किया गया था। इसका प्रबंधन विश्व बैंक करता है। इसका उद्देश्य विकासशील देशों और संक्रमणशील अर्थव्यवस्था वाले देशों की पर्यावरणीय अभिसमयों तथा समझौतों के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करना है।
- विशेष जलवायु परिवर्तन कोष: इसे वर्ष 2001 में स्थापित किया गया था। इसका प्रबंधन वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) करती है। इसका उद्देश्य सभी विकासशील देशों में अनुकूलन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण आदि से संबंधित परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
- अनुकूलन कोष: इसे वर्ष 2001 में स्थापित किया गया था। इसे क्योटो प्रोटोकॉल के तहत स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य विकासशील देशों की अनुकूलन परियोजनाओं और कार्यक्रमों को वित्तपोषित करना है। इससे इन देशों के सुभेद्य समुदायों की जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन में सहायता की जा सकेगी।
स्रोत – द हिन्दू