COP 27 का आयोजन

COP 27 का आयोजन

हाल ही में COP 27 का आयोजन मिस्र के शर्म अल-शेख में किया जा रहा है। इसमें शामिल प्रतिनिधि जलवायु संबंधी मुआवजे पर चर्चा करने के लिए सहमत हुए हैं।

  • साथ ही COP27 जलवायु शिखर सम्मेलन में पहली बार जलवायु संबंधी क्षतिपूर्ती को एजेंडे में शामिल किया गया है।
  • यह कदम जलवायु संबंधी आपदाओं के पीड़ितों के प्रति एकजुटता की एक नई भावना को दर्शाता है।
  • जलवायु संबंधी क्षतिपूर्ति (Climate Compensation): यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रति सुभेद्य तथा निम्न आय वाले देशों को क्षतिपूर्ति के रूप में विकसित देशों द्वारा प्रदान किया जाने वाला धन है।
  • मुआवजा प्राप्त करने वाले ये देश ग्लोबल वार्मिंग में भी बहुत कम योगदान देते हैं।
  • पक्षकारों का सम्मेलन (Conference of the Parties- COP): यह संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है।
  • पिछले वर्ष, उच्च आय वाले देशों ने COP-26 में हानि और क्षति का वित्त-पोषण करने वाले निकाय संबंधी प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी।
  • हालांकि, इस दौरान हानि और क्षति (Loss and Damage) के वित्त-पोषण पर चर्चा के लिए तीन वर्ष तक वार्ताओं को आयोजित करने का समर्थन किया गया था।
  • विदित हो कि COP-26 का आयोजन ग्लासगो में किया गया था।
  • COP-27 में अब एजेंडा में रही हानि और क्षति संबंधी चर्चाओं में क्षतिपूर्ति संबंधी देयता या बाध्यता को शामिल नहीं किया जाएगा।
  • हालांकि, इसके तहत ‘वर्ष 2024 तक’ एक अंतिम निर्णय तक पहुंचने की मंशा जाहिर की गई है।
  • यह जलवायु संबंधी बढ़ती चरम घटनाओं को देखते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसा इसलिए,क्योंकि इन घटनाओं के कारण व्यापक रूप से आर्थिक और गैर-आर्थिक हानि होती है।
  • इससे पहले, COP-19 के दौरान हानि और क्षति के लिए वारसॉ अंतर्राष्ट्रीय तंत्र की स्थापना की गई थी।

चुनौतियाँ:

प्राकृतिक आपदा में जलवायु परिवर्तन के योगदान की सीमा का निर्धारण करना;और

आपदाओं के लिए क्षतिपूर्ति राशि के अरबों तक बढ़ने की संभावना।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (United Nations Framework Convention on Climate Change :UNFCCC) के बारे में :

UNFCCC, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन के लिए आधारभूत कानूनी संरचना और सिद्धांतों का निर्धारण करता है। यह क्योटो प्रोटोकॉल (1997) और पेरिस समझौते (2015) की मूल (parent) संधि है।

इसे वर्ष 1992 में अपनाया गया था। इसका सचिवालय जर्मनी के बॉन शहर में है। लगभग सभी देश (भारत सहित 198 देश) इसके सदस्य हैं।

प्रमुख COP सम्मेलन

  • COP19 में वारसॉ अंतर्राष्ट्रीय तंत्र (WIM) की स्थापना की गई।
  • COP21 में हानि और क्षति को पेरिस समझौते के अनुच्छेद 8 में शामिल किया गया।
  • COP23 में फिजी क्लियरिंग हाउस को लॉन्च किया गया।
  • COP25 में WIM की समीक्षा की गई और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए सैंटियागो नेटवर्क की स्थापना की गई।
  • COP26 में सैंटियागो नेटवर्क कार्यप्रणाली पर सहमति बनी तथा ग्लासगो संवाद की स्थापना की गई।
  • COP27 के तहत सैंटियागो नेटवर्क के लिए संस्थागत व्यवस्था को अंतिम रूप दिया गया।

स्रोत – द हिन्दू

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