राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) को वर्ष 2026 तक जारी
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) को वर्ष 2026 तक जारी रखने की मंजूरी दी है।
संशोधित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) को पांच वर्ष की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया है। यह अभियान 15वें वित्त आयोग के कार्यकाल तक जारी रहेगा।
- RGSA एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं (PRO) की अभिशासन संबंधी क्षमताओं को विकसित करना है।
- इस योजना को देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत भारतीय संविधान के भाग x से बाहर के क्षेत्रों की ग्रामीण स्थानीय शासन संस्थाएं भी शामिल हैं, जहाँ पंचायतें मौजूद नहीं हैं।
- इस योजना के तहत कोई स्थायी पद सृजित नहीं किया जाएगा। लेकिन, आवश्यकता के आधार पर एक समझौते के अधीन मानव संसाधन का प्रावधान किया जा सकता है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
- राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान को पंचायती राज मंत्रालय ने वर्ष 2016-17 में शुरू किया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे वित्तीय वर्ष 2018-19 से वित्तीय वर्ष 2021-22 तक लागू करने की मंजूरी दी थी।
- यह योजना पंचायतों को सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिए प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम बनाती है। साथ ही, विकास से जुड़े उन अन्य उद्देश्यों की प्राप्ति में भी सहयोग करती है, जिनके लिए महत्वपूर्ण क्षमता निर्माण प्रयासों की आवश्यकता होती है।
योजना का वित्त पोषण इस प्रकार से होगाः
- सामान्य राज्यों में केंद्र और राज्य का अनुपात 60:40,
- पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में: केंद्र एवं राज्य का अनुपात 90:10 तथा
- सभी केंद्र शासित प्रदेशों में: 100% (केंद्र सरकार द्वारा)।
योजना की अब तक की उपलब्धियां:
- पंचायतों को प्रोत्साहन दिया गया है,
- ई-पंचायत पर मिशन मोड परियोजना शुरू की गई है,
- ई-ग्राम स्वराज पर प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया गया है,
- लगभग 36 करोड़ निर्वाचित प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों और अन्य हितधारकों ने अलग-अलग प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं आदि।
नोटः राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्राम स्वराज अभियान (विस्तारित) से अलग है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्राम स्वराज अभियान का उद्देश्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की आपर्ति के तरीकों में बदलाव लाना है।
स्रोत – द हिंदू