संपूर्ण मानव जीनोम का अनुक्रमण संपन्न
हाल ही में वैज्ञानिकों ने आखिरकार संपूर्ण मानव जीनोम का अनुक्रमण कर लिया है ।
- हाल ही में प्रकाशित एक शोध में, एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने संपूर्ण मानव जीनोम का पहली बार अनुक्रमण (sequencing) करने का विवरण दिया है।
- इससे पहले के प्रयासों में संपूर्ण मानव जीनोम का अनुक्रमण नहीं हो पाया था। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि उस समय की डी.एन.ए. अनुक्रमण प्रौद्योगिकियां लगभग 8% जीनोम को पढ़ने में सक्षम नहीं थीं।
जीनोम अनुक्रमण (Genome sequencing):
- इसके तहत डी.एन.ए. अणु के भीतर मौजूद न्यूक्लियोटाइड्स या क्षार (बस) के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है। डी.एन.ए. में 4 न्यूक्लियोटाइड्स या क्षार (बेस) होते हैं। ये हैं- एडानीन (A), साइटोसीन (C), गुआनीन (G) और थायमीन (T)। इन चारों का क्रम किसी सजीव के डी.एन.ए. का निर्माण करता है।
- किसी सजीव के डी.एन.ए. के संपूर्ण सेट को जीनोम कहते हैं। जीनोम में सभी गुणसूत्र (chromosomes) शामिल होते हैं। गुणसूत्र में डी.एन.ए. और जीन शामिल होते हैं। ज्ञातव्य है कि जीन,डी.एन.ए. के विशिष्ट खंड होते हैं।
- मानव जीनोम में लगभग 3 अरब क्षार युग्म (बैस पेयस) होते हैं। ये मानव के निर्माण और उसे इस रूप में बने रहने को निर्देशित करते हैं।
जीनोम अनुक्रमण से लाभ या उपयोग:
- यह मानव के विकास और उसकी बायोलॉजी के बारे में कोशिका बेहतर समझ प्रदान करेगा।
- यह दुर्लभ बीमारियों के लिए उत्तरदायी जीनोमिक कारणों की पहचान करने में सहायक हो गुणसूत्र सकता है। साथ ही, इससे एजिंग (बुढ़ापा), न्यूरोडीजेनेरेटिव दशाओं, कैंसर आदि क्षेत्रों में चिकित्सकीय उपायों को डी.एन.ए. तलाशने में सहायता मिलेगी।
- इससे जेनेटिक म्युटेशन (यानी आनुवंशिक उत्परिवर्तन) की पहचान करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही, इससे वायरस के फैलने और विकास से संबंधित मौजूदा समझ में भी सुधार हो सकेगा।
जीनोम अनुक्रमण के लिए की गई पहलः
- जीनोम इंडिया प्रोजेक्टः यह जैव प्रौद्योगिकी विभाग की एक पहल है।
- मानव जीनोम परियोजना: यह एक अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयास था, जो वर्ष 2003 में संपन्न हो गया।
स्रोत –द हिन्दू