प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक, 2022
हाल ही में प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022 के माध्यम से प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
प्रस्तावित संशोधन निम्नलिखित हैं:
- प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौतों और प्रभुत्ववादी स्थिति के दुरुपयोग की जांच के शीघ्र समाधान के लिए एक समझौता एवं प्रतिबद्धता फ्रेमवर्क का निर्माण किया जाएगा ।
- लेन-देन के मूल्य के आधार पर विलय और अधिग्रहण (संयोजन ) को विनियमित किया जाएगा।
- उद्यमों या समान व्यवसायों में लगे व्यक्तियों के साथ-साथ अब अलग-अलग व्यवसायों में शामिल लोगों को भी प्रतिस्पर्धा – विरोधी समझौतों के दायरे में लाया जाएगा।
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) के लिए किसी मामले पर प्रथम दृष्टया राय बनाने के लिए समय-सीमा को 30 दिनों से कम करके 20 दिन कर दिया गया है ।
- विलय और अधिग्रहण की मंजूरी की समग्र समय सीमा को 210 दिनों से घटाकर 150 दिन करने का प्रस्ताव किया गया है।
समिति द्वारा प्रस्तावित प्रमुख बदलाव
- समिति की राय है कि कार्टेल्स (cartels) को भी समाधान (सेटलमेंट) के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।
- कार्टेल्स उत्पादों या कंपनियों का संघ होता है। इसका मुख्य उद्देश्य परस्पर प्रतिस्पर्धा न करके कीमतें निश्चित कर लाभ बढ़ाना होता है।
- कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने पहले ही स्पष्ट किया था कि यह मनमानी को कम करने तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए निपटान और प्रतिबद्धता तंत्र हेतु विस्तृत नियम जारी करेगा ।
- सौदे के मूल्य की गणना करने की विधि का उल्लेख किया जाना चाहिए।
- CCI के लिए समय-सीमा को कम करना बोझिल हो सकता है, क्योंकि यह पहले से ही कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहा है।
- आयोग में कम से कम एक न्यायिक सदस्य होना चाहिए ।
प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के बारे में
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम वर्ष 2002 में पारित किया गया था और प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) अधिनियम, 2007 द्वारा इसे संशोधित किया गया। यह आधुनिक प्रतिस्पर्द्धा विधानों के दर्शन का अनुसरण करता है।
- यह अधिनियम उद्यमों या व्यक्तियों द्वारा प्रतिस्पर्धा – रोधी समझौते करने व प्रभुत्ववादी स्थिति के दुरुपयोग पर रोक लगाता है और संयोजनों को विनियमित करता है।
- प्रतिस्पर्धा-रोधी समझौतों से भारत में प्रतिस्पर्धा पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है या प्रभावित होने की संभावना बन जाती है।
- यह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग और प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (Competition Appellate Tribunal- COMPAT) की स्थापना का प्रावधान करता है ।
- सरकार द्वारा वर्ष 2017 में प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (COMPAT) को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal- NCLAT) से प्रतिस्थापित कर दिया।
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI)के बारे में
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग का गठन मार्च 2009 में किया गया था। यह प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के उद्देश्यों को लागू करने वाला एक सांविधिक निकाय है
- राघवन समिति की सिफारिशों के आधार पर एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम (MRTP Act), 1969 को निरस्त कर इसे प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के अनुसार, आयोग में एक अध्यक्ष और 6 सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। इसके अध्यक्ष और अन्य सदस्य पूर्णकालिक होते हैं।
- आयोग एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय है जो सांविधिक प्राधिकरणों को परामर्श देने का कार्य करता है।
स्रोत – द हिन्दू