जांच आयोग अधिनियम’, 1952
हाल ही में, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ‘जांच आयोग अधिनियम’, 1952 (Commissions of Inquiry Act, 1952) के तहत, इजरायल की साइबर-खुफिया कंपनी NSO ग्रुप द्वारा विकसित ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के माध्यम से ‘टेलीफोन’ की कथित निगरानी किए जाने की जाँच करने हेतु एक ‘जांच आयोग’ (लोकुर आयोग) का गठन किया गया है।
यह आयोग, विभिन्न व्यक्तियों की निजता के कथित उल्लंघन की जांच करेगा।
इस प्रकार के आयोग गठित करने की शक्ति:
- यद्यपि, केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों द्वारा इस प्रकार के ‘जांच आयोगों’ का गठन किया जा सकता है, किंतु राज्य सरकार केवल उन विषयों पर ‘जांच आयोग’ गठित कर सकती है, जिन पर उसे कानून बनाने का अधिकार होता है।
- यदि केंद्र सरकार द्वारा किसी विषय पर आयोग का गठन पहले किया जाता है, तो राज्य सरकार, उसी विषय पर, केंद्र सरकार की मंजूरी लिए बिना, अन्य समानांतर जांच आयोग का गठन नहीं कर सकती है।
‘जांच आयोग’ को प्राप्त शक्तियां:
- जांच आयोग अधिनियम, 1952 के अंतर्गत सरकार द्वारा गठित आयोग को, ‘सिविल प्रक्रिया संहिता’, 1908 (Code of Civil Procedure, 1908) के तहत किसी मुकदमे की सुनवाई के दौरान एक ‘दीवानी अदालत’ के समान शक्तियां प्राप्त होंगी।
- इसका अर्थ है, कि आयोग के पास, किसी भी व्यक्ति को, भारत के किसी भी कोने से बुलाने और उसके समक्ष पेश होने, उसकी शपथ पर जांच करने तथा शपथपत्रों पर साक्ष्य प्राप्त करने की शक्तियां होती हैं।
- जांच आयोग, किसी भी किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी भी लोक-अभिलेख या उसकी प्रतिलिपि दिए जाने का आदेश दे सकता है।
आयोग द्वारा किन विषयों पर जांच की जा सकती है?
- केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग, संविधान की सातवीं अनुसूची में सूची-I (संघ सूची) अथवा सूची-II (राज्य सूची) या सूची-III (समवर्ती सूची) में शामिल किसी भी प्रविष्टि से संबंधित, किसी भी मामले की जांच कर सकता है।
- जबकि, राज्य सरकारों द्वारा गठित आयोग ‘सातवीं अनुसूची’ की सूची-II या सूची-III में शामिल प्रविष्टियों से संबंधित मामलों की जांच कर सकते हैं।
पेगासस ‘जांच आयोग’ का मामला किस सूची से संबंधित है:
- ‘जांच आयोग’ का गठन करने हेतु, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ‘लोक व्यवस्था’ और ‘पुलिस’ प्रविष्टियों का हवाला दिया गया है। हालांकि, ये विषय सांतवी अनुसूची की ‘राज्य सूची’ के अंतर्गत आते है, फिर भी एक तर्क यह भी दिया जा सकता है कि उक्त मामले में ‘जांच’ की विषय-वस्तु, मुख्यतः केंद्रीय सूची के अंतर्गत आती है।
- इसके अलावा, डाक और टेलीग्राफ, टेलीफोन, वायरलेस, प्रसारण और संचार के अन्य माध्यम संघ सूची की प्रविष्टि 31 से संबंधित हैं।
इस प्रकार के जाँच आयोग की रिपोर्ट का महत्व:
- इस तरह के आयोगों के निष्कर्षों को, आम तौर पर विधानसभा या संसद में पेश किया जाता है, जो इस पर निर्भर करता है कि, आयोग का गठन किसके द्वारा किया गया है।
- सरकार, आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं होती है। और हालांकि, आयोग के निष्कर्ष कार्यपालिका के लिए बाध्यकारी नहीं होते हैं, किंतु अदालतों द्वारा, साक्ष्य के रूप में इन निष्कर्षो पर विश्वास किया जा सकता है।
स्रोत –द हिन्दू