INCOIS द्वारा तैयार तटीय सुभेद्यता सूचकांक (CVI)
हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) ने तटीय सुभेद्यता सूचकांक (CVI) तैयार किया है ।
भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) ने राज्यों के स्तर पर संपूर्ण भारतीय तट की सुभेद्यता का आकलन किया है। इसका उद्देश्य तटीय सुभेद्यता सूचकांक (CVI) तैयार करने के लिए 1:1,00,000 पैमानों पर 156 मानचित्रों वाला एक एटलस निर्मित करना है।
तटीय सुभेद्यता एक स्थानिक अवधारणा है। इसके तहत तटीय जोखिमों से उत्पन्न खतरों के प्रति अतिसंवेदनशील व्यक्तियों और स्थानों की पहचान की जाती है।
तटीय सुभेद्यता सूचकांक (CVI) की मुख्य विशेषताएं:
इन मानचित्रों में भारतीय तट के लिए भविष्य में समुद्र के जलस्तर में वृद्धि के कारण तटीय जोखिमों का निर्धारण किया गया है। यह निर्धारण भौतिक और भूवैज्ञानिक मापदंडों पर आधारित है।
तटीय सुभेद्यता सूचकांक में निम्नलिखित मापदंडों का उपयोग किया गया है:
- ज्वार की सीमा,लहर की ऊंचाई, तटीय ढलान,तटीय ऊंचाई,तटरेखा की परिवर्तन दर,भू-आकृति विज्ञान और ऐतिहासिक रूप से सापेक्ष समुद्र जल स्तर में परिवर्तन दर।
- इसके अलावा, एक तटीय बहु-जोखिम सुभेद्यता मानचित्रण (MHVM) का संचालन भी किया गया है। इसका उद्देश्य उन मिश्रित खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान करना है, जो बाढ़ की चरम घटनाओं के कारण तटीय क्षेत्रों के साथ-साथ जलमग्न हो सकते हैं।
स्रोत –द हिन्दू