ताप विद्युत संयंत्रों (TPPs) में बायोमास को–फायरिंग/ टेंडरिंग की प्रगति की समीक्षा
हाल ही में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAOM) ने ताप विद्युत संयंत्रों (TPPs) में बायोमास को-फायरिंग/ टेंडरिंग की प्रगति की समीक्षा की है ।
- सितंबर 2021 में, CAOM ने 11 ताप विद्युत संयंत्रों (TPPs) को यह निर्देश था कि वे मुख्य रूप से कृषि अवशेषों से बने बायोमास पैलेट्स के 5-10% मिश्रण का इस्तेमाल करने का प्रयास करें। दूसरे शब्दों में, आयोग ने 11 TPPs में को-फायरिंग के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए बायोमास के इस्तेमाल का निर्देश दिया था। इससे खेतों में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान करने और ताप विद्युत संयंत्रों के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायता मिलेगी। साथ ही, इससे पराली का उचित जगह पर दहन या एक्स-सीटू उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- हालांकि, CAOM की समीक्षा के अनुसार, 11 TPPs में से केवल 7 में ही को-फायरिंग शुरू हुई है।
बायोमास को–फायरिंग के बारे में:
बायोमास को-फायरिंग की प्रक्रिया में कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों में कोयले के साथ-साथ बायोमास का भी दहन किया जाता है।
को–फायरिंग के लिए निम्नलिखित तीन अलग–अलग मॉडल्स या अवधारणाएं मौजूद हैं:
- डायरेक्ट को–फायरिंगः इसके तहत बायोमास और कोयले का दहन एक ही भट्टी में किया जाता है।
- इनडायरेक्ट को–फायरिंग: इसमें बायोमास गैसीफायर का उपयोग करके ठोस बायोमास को एक स्वच्छ फ्यूल गैस में बदल दिया जाता है। इसके बाद, कोयले के साथ उसी भट्टी में गैस का दहन किया जा सकता है।
- पैरलल को–फायरिंगः इसके तहत पारंपरिक बॉयलर के अलावा, एक पूरी तरह से अलग बायोमास बॉयलर स्थापित किया जाता है।
बायोमास को–फायरिंग के निम्नलिखित लाभ हैं:
- कम पूंजी लागत, उच्च दक्षता, इकोनॉमी ऑफ स्केल में वृद्धि या कम खर्चीली प्रक्रिया,
- बड़े आकार वाले एवं पारंपरिक कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के बेहतर प्रदर्शन के कारण बिजली की लागत में कमी, आदि।
कोयला आधारित TPPs से वायु प्रदूषण कम करने की पहलः
- ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन, 2021
- फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD) इकाइयों की स्थापना पर जोर
- एडवांस्ड अल्ट्रा-सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट
- कोयला आधारित TPPs के लिए संशोधित व कड़े उत्सर्जन मानक
स्रोत –द हिन्दू