‘क्लाइमेट ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट 2021’जारी
हाल ही में ‘क्लाइमेट ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट 2021’जारी की गई जिसमें कहा गया है कि ‘अधिकांश G20 देशों द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य वैश्विक तापन को 1.50 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने हेतु पर्याप्त नहीं हैं’।
यह रिपोर्ट G20 देशों की जलवायु कार्रवाई और निवल-शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में उनकी प्रगति की वार्षिक समीक्षा प्रस्तुत करती है।
निवल-शून्य उत्सर्जन को सामान्यतः कार्बन तटस्थता भीकहा जाता है। इस स्थिति को वायुमंडल में मानव जनित ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) के उत्सर्जन को एक निश्चित अवधि के दौरान मानवजनित निराकरण द्वारा संतुलित करके प्राप्त किया जाता है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- वर्ष 2020 में 6% की गिरावट के पश्चात् वर्ष 2021 में 620 देशों (वैश्विक GHGs के 75% के लिए उत्तरदायी) के CO2 उत्सर्जन में 4% की वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
- अर्जेंटीना, चीन, भारत और इंडोनेशिया के उत्सर्जन में वर्ष 2019 के उत्सर्जन स्तर की तुलना में वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
- G20 में सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में स्थापित क्षमता के नए रिकॉर्ड प्राप्त करने के बावजूद भी जीवाश्म इंधन पर इन देशों की निर्भरता में कोई कमी नहीं आई है।
- मुख्य रूप से चीन, अमेरिका और भारत की मांग के कारण कोयले के उपभोग में इस वर्ष लगभग 5% की वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
- भारत का प्रति व्यक्ति GHG उत्सर्जन (2.1 +CO2/प्रति व्यक्ति), G20 के औसत (7.5 +CO2/प्रति व्यक्ति) उत्सर्जन से कम है।
- G20 देशों की निवल-शन्यप्रतिबद्धताओं और अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (Nationally Determined Contributions: NDCs) और जलवायु कार्रवाई के बावजूद भी विश्व वैश्विक तापन को 5 डिग्री सेल्सियस की सीमा तक सीमित रखने संबंधी लक्ष्य से दूर है।
- यद्यपि, भारत वर्तमान नीतियों को कार्यान्वित करके अपने NDCs लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
स्रोत –द हिन्दू