चीन–ताइवान संबंध
चीन ने हाल ही में अपने 39 युद्धक विमानों को ताइवान की ओर उड़ान पर भेजा गया। पुराने पैटर्न को जारी रखते हुए, चीन ने नए साल में इस तरह का पहला सैन्य धावा किया था। इसके जबाव में द्वीपीय देश ताइवान ने अपने जेट विमानों को भेजा था।
इन कार्रवाईयों के पीछे मुख्य कारण:
- ताइवान द्वारा चीन को नाराज किए जाने वाले किसी काम पर, अथवा ‘लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान द्वीप के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन, विशेष रूप से ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ द्वारा समर्थन दिखाए जाने पर चीन, नाराजगी व्यक्त करने के लिए, अक्सर इस प्रकार की कार्रवाइयां करता रहता है। विदित हो कि, अमेरिका, ताइवान के लिए हथियारों की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश है।
- चीन अपनी इन कार्रवाइयों को देश की संप्रभुता की रक्षा करने और ‘ताइपे’ और वाशिंगटन के बीच “मिलीभगत” से निपटने के लिए आवश्यक बताता है।
- ताइवान की सरकार द्वारा नियमित रूप से डेटा प्रकाशित करना शुरू किए जाने के बाद से, चीनी पायलट पिछले डेढ़ साल में लगभग हर रोज ताइवान की ओर उड़ान भरते हैं। पिछले अक्टूबर में, एक ही दिन में चीन के 56 युद्धक विमानों ने सबसे बड़ी सैन्य धावा किया था।
संबंधित विवाद:
चीन द्वारा ताइवान पर सैन्य दबाव लगातार बढ़ाया जा रहा है, जिसके तहत चीन, इस लोकतांत्रिक ताइवान के समीप चीनी युद्धक विमानों के अभियान चला रहा है। बीजिंग, ताइवान अपना दावा करता है और इस पर बलपूर्वक कब्ज़ा करने से इसे कोई गुरेज नहीं है।
नवीनतम घटनाक्रम:
- यूरोपीय संसद द्वारा ताइवान के लिए गठित पहले आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल ने ‘ताइवान’ का समर्थन करते हुए कहा है कि राजनयिक रूप से अलग-थलग किया गया यह द्वीपीय देश अकेला नहीं है।
- ताइपे पर बीजिंग के बढ़ते दबाव के मद्देनजर ‘यूरोपीय संसद के प्रतिनिधिमंडल’ ने यूरोपीय संघ-ताइवान संबंधों को मजबूत करने हेतु सुस्पष्ट एवं साहसिक कार्रवाइयों की मांग की है।
- वर्तमान में, ताइवान के ‘वेटिकन सिटी’ को छोड़कर किसी भी यूरोपीय राष्ट्र के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। अब ताइवान, यूरोपीय संघ के सदस्यों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करने का इच्छुक है।
पृष्ठभूमि
- चीन, अपनी ‘वन चाइना’ (One China) नीति के जरिए ताइवान पर अपना दावा करता है। सन् 1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के अंत में जब ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के संस्थापक माओत्से तुंग ने पूरे चीन पर अपना अधिकार जमा लिया तो विरोधी राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक ताइवान द्वीप पर भाग गए। इसके बाद से ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ ने ताइवान को बीजिंग के अधीन लाने, जरूरत पड़ने पर बल-प्रयोग करने का भी प्रण लिया हुआ है।
- चीन, ताइवान का शीर्ष व्यापार भागीदार है। वर्ष 2018 के दौरान दोनों देशों के मध्य 226 बिलियन डॉलर के कुल व्यापार हुआ था।
- हालांकि, ताइवानएक स्वशासित देश है और वास्तविक रूप से स्वतंत्रहै, लेकिन इसने कभी भी औपचारिक रूप से चीन से स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की है।
- “एक देश, दो प्रणाली” (one country, two systems) सूत्रके तहत, ताइवान, अपने मामलों को खुद संचालित करता है; हांगकांग में इसी प्रकार की समान व्यवस्थाका उपयोग किया जाता है।
- वर्तमान में, चीन, ताइवान पर अपना दावा करता है, और इसे एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले देशों के साथ राजनयिक संबंध नहीं रखने की बात करता है।
भारत–ताइवान संबंध:
- यद्यपि भारत-ताइवान के मध्य औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, फिर भी ताइवान और भारत विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग कर रहे हैं।
- भारत ने वर्ष 2010 से चीन की ‘वन चाइना’ नीति का समर्थन करने से इनकार कर दिया है।
स्रोत: द हिंदू