चीता एक्शन प्लान – वर्ष 2022 में भारत में चीता लाने के लिए कार्ययोजना
चीता एक्शन प्लान – हाल ही में, एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल, ‘वल्र्ड्स चीता कैपिटल’ के रूप में विख्यात नामीबिया के दौरे पर गया।
भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नामीबिया के चीतों को नामीबिया का सद्भावना राजदूत नियुक्त करने की योजना तैयार की जा रही है।
इससे जुड़े घटनाक्रमों पर एक नज़रः
- उच्चतम न्यायालय ने प्रायोगिक आधार पर नामीबिया से अफ्रीकी चीतों को भारतीय पर्यावास में लाने (बसाने) के प्रस्ताव पर वर्ष 2013 में रोक लगा दी थी। इस रोक को उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2020 (सात वर्ष बाद) में हटा दिया।
- उच्चतम न्यायालय ने यह रोक वर्ष 2013 में कुनो-पालपुर अभयारण्य में ही शेरों को बसाने की योजना और चीतों के लिए आहार (शिकार) संबंधी कमी के संदेह के कारण लगाई गई थी।
- इसके अलावा, भारत में चीते को पुनः बसाने की कार्ययोजना भी आरंभ की गई थी। इसके तहत पांच वर्षों में भारत में 50 चीतों को लाने की योजना बनाई गयी थी।
चीतों को पुनः बसाने के बारे में:
- एशियाई चीतों (UCN स्थितिः क्रिटीकली इंडेंजर्ड) की तुलना में अफ्रीकी चीतों (UCN स्थितिः वल्नरेबल या सुभेद्य) को भारत में पुनः बसाना बहुत आसान है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि एशियाई चीते बहुत कम संख्या में केवल ईरान में ही पाए जाते हैं।
- चीता शुष्क वनों, झाड़ीदार वनों और सवाना की एक कीस्टोन प्रजाति है।
- अत्यधिक शिकार करने और पर्यावास की क्षति के कारण वर्ष 1952 में चीता को भारत में विलुप्त (extinct) घोषित कर दिया गया था।
- चीता विश्व में सबसे तेज दौड़ने वाला स्थलीय स्तनपायी है।
- यह वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के परिशिष्ट 1 Appendix I) में सूचीबद्ध है।
स्रोत –द हिंदू